आत्म – परिचय
नाम : सुजीत कुमार
शिक्षा : एम.ए(जनसंचार व पत्रकारिता)
वृत्ति: केन्द्रीय सिविल सेवा अधिकारी ( उप सचिव, भारत सरकार)
मौलिक लेखन/साहित्य में यंत्किंचित उपलब्धियां :
॰ स्थानीय समाचार पत्र में प्रथम आलेख प्रकाशित (1989)
॰ साहितियक – सामाजिक पत्रिका “ अभिज्ञान” के संपादक मण्डल के सदस्य के रूप में संपादकीय योगदान (1994)
॰ कैरियर पत्रकारिता में नियमित सहभागिता, पत्र पत्रिकाओं में नियमित स्तम्भ तथा आलेख लेखन (1995…)
॰ साहित्यिक – सांस्कृतिक पत्रिका कर्णप्रिय के संपादक मण्डल के सदस्य के रूप में संपादकीय योगदान (2019)
॰ यू-ट्यूब चैनल, टीवी चैनल तथा अन्य माध्यमों से बहुधा मंचीय काव्य प्रस्तुतियाँ
प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ :
॰ कर्णप्रिय (शीर्षगीत, मैथिली )
॰ मंजिल अभी दूर है (गीत, हिन्दी )
॰ खोले पडत खिड़की (कविता, मैथिली )
॰ गीत नूतन (गीत, मैथिली )
॰ अप्पन माटि (कहानी, मैथिली )
॰ हमर नेनपन (संस्मरण , मैथिली )
॰ अभिज्ञान (शीर्षगीत, मैथिली )
॰ फ़्राम डेल्ही विथ लव (कहानी, हिन्दी )
॰ माँ मुझको पहले सा कर दे (कविता, हिन्दी )
॰ हवा मिठाई (कविता, हिन्दी )
॰ बंद हुए जब द्वार (मुक्तक, हिन्दी )
॰ सूरज निकलेगा (कविता, हिन्दी )
॰ रात काली है (गजल, हिन्दी)
उनकी एक कविता की झलक आपके सम्मुख प्रस्तुत है.
क्यों परेशान हो पहचान बनाने के लिए
कोई आएगा नहीं तुम को बचाने के लिए
पंख अपने ही काम आते हैं परिंदों के
अपनी मर्ज़ी के आसमान को पाने के लिए
वो तो आए नहीं बस आने की ख़बर आई
आज इतना है बहुत नींद उड़ाने के लिए
यूँ न समझो कि तुम्हें वो सराहता है बहुत
ज़िक्र करता है तेरा मुझ को चिढ़ाने के लिए
ये मोहब्बत जो है वो एक समंदर है मियाँ
उतर न जाना इसमें जान गंवाने के लिए
एक ऐसी भी ग़ज़ल है कि जो लिक्खी ही नहीं
दिल में रखा है सिर्फ़ तुमको सुनाने के लिए
ख़्वाब कुछ, थोड़ी मुहब्बत, थोड़े शिकवे, कुछ ग़म
सब को बाज़ार में लाया हूँ भुनाने के लिए