अमर भारती : दिल्ली सरकार द्वारा महिलाओं को मेट्रो में मुफ्त सफर की सुविधा देने की योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को यह समझना होगा कि डीएमआरसी की वित्तीय हालत का उचित ध्यान रखा जाए और उसके उठाए गए किसी भी कदम से डीएमआरसी को कोई नुकसान न हो।
दरअसल कोर्ट ने साफ कर दिया कि इस तरह की योजना के बजाय सरकार को डीएमआरसी की आर्थिक सेहत के बारे में सोचना चाहिए। दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि अगर आप लोगों को मुफ्त यात्रा कराएंगे तो यह परेशानी खड़ी करेगा। अगर कुछ फ्री में मिलता है तो ये समस्या पैदा करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह बातें दिल्ली सरकार के उस आपत्ति के बाद कहीं, जिसमें सरकार ने कहा कि वह मेट्रो के नुकसान में हिस्सेदार नहीं बनेगी। अदालत ने कहा, राज्य परिवहन के लिए जिम्मेदार है। हमें इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता क्योंकि मेट्रो को नुकसान होता है तो उसे राज्य द्वारा भरा जाना चाहिए क्योंकि दिल्ली मेट्रो राज्य के अंदर ही संचालित होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण के लिए भूमि की लागत का खर्च केंद्र एवं दिल्ली सरकार 50:50 के अनुपात में वहन करेंगे। उच्चतम न्यायलय ने ये भी कहा कि अगर दिल्ली मेट्रो रेल के चौथे चरण में कोई परिचालन घाटा होता है तो उसे दिल्ली सरकार पूरा करना होगा।