
गौरीफंटा (खीरी)। भारत–नेपाल सीमा से सटे इलाकों में रहने वाली थारू जनजाति दशकों से अपनी जमीनों पर मंडरा रहे भू-माफियाओं के आतंक से त्रस्त है। केन्द्र और राज्य सरकार ने ग्रांट एक्ट के तहत इन समुदायों को खेती-बाड़ी हेतु भूमि आवंटित की थी, ताकि वे अपनी आजीविका सुरक्षित कर सकें। लेकिन समय के साथ यह जमीन भू-माफियाओं की नजर में आ गई और अवैध मंडी एवं निर्माण का धंधा तेजी से पनपने लगा।
स्थानीय लोगों के अनुसार, माफिया पहले थारू परिवारों को चंद पैसों का लालच देकर जमीन हथियाते हैं और फिर उस पर दुकानें, पक्के कमरे और मंडियां बनवा देते हैं। कई जगहों पर भू-माफियाओं ने बिना किसी दस्तावेज, बिना सरकारी अनुमति के बड़े पैमाने पर कब्जे कर लिए हैं।
सबसे गंभीर बात यह है कि यदि कोई थारू परिवार विरोध करता है, तो माफिया उस पर फर्जी मुकदमे दर्ज करवाकर उन्हें कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पर मजबूर कर देते हैं।
थारू जनजाति की गुहार—“हमारी जमीन बचाइए…”
गांवों के कई पीड़ित परिवारों ने पलिया उपजिलाधिकारी, डीएम–एसपी सहित जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को लिखित शिकायतें दी हैं। तहसील समाधान दिवस में भी थारू समुदाय के लोग भारी संख्या में पहुंचकर अवैध बनगवा मंडी खाली कराने की मांग कर चुके हैं।
लेकिन वर्षों से लगातार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई अब तक न होना, सरकारी सिस्टम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाता है।
“कागजों में सब सही, जमीन पर माफियाओं की चलती है”—स्थानीय लोग
स्थानीय सूत्रों का दावा है कि कुछ राजस्व कर्मियों की मिलीभगत के कारण भू-माफिया और मजबूत होते जा रहे हैं।
पटवारी और कानूनगो द्वारा गलत रिपोर्ट लगाकर पूरे मामले को ताक पर रखा जा रहा है, जिससे न सिर्फ सरकार गुमराह हो रही है, बल्कि थारू जनजाति की जमीनें निरंतर बेची और कब्जाई जा रही हैं।
बनगवा गांव में रास्ता तक कब्जा, लोगों का जीना दूभर
सबसे भयावह स्थिति बनगवा गांव की है। यहां गांव में आने-जाने का एकमात्र रास्ता भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा है।
सड़क पर खड़ी गाड़ियां, अवैध निर्माण और मंडी का कब्जा ग्रामीणों के जीवन को नरक बना रहा है।
कभी वन विभाग कार्रवाई करता है, कभी पुलिस। लेकिन—
“जिसकी जेब जितनी गर्म, उसका उतना काम…”
यहां यही हाल बताया जा रहा है।
अवैध कब्जे न तो पूरी तरह हटते हैं, और न ही प्रशासन इस पर स्थायी रोक लगा पा रहा है।
थारू समुदाय की बढ़ती नाराजगी—“अब बस, कार्रवाई चाहिए”
लगातार बढ़ते अतिक्रमण, दबाव, दहशत और फर्जी मुकदमों से परेशान थारू जनजाति खुलकर विरोध में उतर आई है।
वे मांग कर रहे हैं कि—
🔸 अवैध मंडी तुरंत हटाई जाए
🔸 कब्जाधारियों पर FIR दर्ज हो
🔸 ग्रांट एक्ट की जमीनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
🔸 माफियाओं की मिलीभगत में शामिल अधिकारियों की जांच हो
थारू जनजाति की आवाज अब यह पूछ रही है कि—
“अवैध मंडी पर कब चलेगा बाबा का बुलडोज़र?”
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते सरकार ने कदम नहीं उठाया, तो यह मामला और गहराएगा तथा शांत इलाकों में सामाजिक तनाव भी बढ़ सकता है।