अपने घर में मौजूद बबीता और शिवचरण
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गरीब महिला का निजी अस्पताल में हुआ था ऑपरेशन
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अस्पताल का खर्चा ३० हजार, चुकाने को नहीं थे रुपये
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महिला को अपना नवजात शिशु दूसरे को देना पड़ा
आगरा। मां की लाचारी और पिता की बेबसी का फायदा उठाकर नवजात का सौदा करने का प्रकरण प्रकाश में आया है। अस्पताल का खर्चा चुकाने में असमर्थ बेबस मां और पिता को अपने बेटे का ही सौदा करना पड़ गया।
सौदेबाजों ने महिला का बच्चा ले लिया और इसके बदले उसे कुछ रुपये दे दिए तथा हॉस्पिटल का हिसाब कर दिया। जब महिला अपने घर पहुंची तो आसपास के लोगों ने उससे बच्चे के बारे में पूछताछ की।
मगर बेबस मां और पिता के पास कोई जवाब नहीं था। लाचार मां की आंखों से बच्चे के बारे में पूछते ही आंसू छलक पड़ते हैं। पिता भी रुंधे गले से अपनी गरीबी को कोसने लगता है। लोग ऐसा फिल्मों में देखते थे लेकिन हकीकत में यह सब देख भौंंचक हैं।
यमुनापार के शंभू नगर में रहने वाली बबीता अपने चार बच्चों के साथ किराए के मकान में रहती है। बबीता का पति शिवचरण रिक्शा चलाकर गुजर-बसर करता है। तंगहाली और कर्ज में उसका मकान डूब गया।
अपनी गर्भवती पत्नी का प्रसव कराने के लिए वह ट्रांस यमुना कॉलोनी फेज टू स्थित एक निजी अस्पताल में ले गए। अस्पताल में 24 अगस्त सोमवार को बबीता का ऑपरेशन हुआ। महिला के मुताबिक उसने एक बेटे को जन्म दिया।
अस्पताल का खर्चा बढ़ते देख उससे पैसे मांगे गए, लेकिन उसके पास रुपये की व्यवस्था नहीं हो सकी। हालांकि शिवचरण का कहना है कि उसके कई लोगों से ब्याज पर पैसे जुटाने का प्रयास किया लेकिन उसकी किसी ने मदद नहीं की।
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आखिर में वह अस्पताल लौट आया और वहां चिकित्सकों ने दंपति के सामने एक शर्त रख दी। जिसे सुनकर दंपति कुछ वक्त तक विवश रहा। कोई दूसरा रास्ता न देख दंपति ने शर्त मान ली।
शर्त के मुताबिक अस्पलात का खर्चा माफ करने के बदले दंपति को अपना नवजात किसी दूसरे को देना पड़ा। लाचार और बेबस मां बाप ने अस्पताल से छुटकारा पाने के लिए भारी मन से बच्चे को दूसरे के हाथों में दे दिया।
बेबस मां पर क्या बीती होगी जब उसने अपने कलेजे के टुकड़े को दूसरे को बेचा होगा। शुक्रवार को उसे डिस्चार्ज किया गया और करीब 70 हजार रुपये उसे दिए भी गए। रुपये लेकर दंपति वापस आ गये, लेकिन जब अड़ोस-पड़ोस के लोगोंं ने बबीता और शिवचरण से बच्चे के बारे में पूछा तो दोनों ने सब बातें उन्हें बता दीं।
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इसकी जानकारी आसपास के अन्य लोगों को हो गई। बबीता के बच्चों ने भी अपनी मां से अपने भाई के बारे में पूछा, लेकिन बेबस मां ने बच्चों को कुछ नहीं बताया।
बबीता और शिवचरण का कहना है कि उनका बच्चा अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों ने किसी दूसरे को दिलवा दिया है। इसके बदले में दोनों से एक कागज पर अंगूठे के निशान ले लिए हैं, लेकिन कागज पर क्या लिखा था यह उसे नहीं मालूम। वह पढ़ा-लिखा नहीं है।
अमर भारती की टीम ने जब अस्पताल का दौरा किया तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि बबीता को डिस्चार्ज कर दिया गया है, उसे बच्चा क्यों नहीं दिया गया इस सवाल पर सब खामोश हो गए।
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हालांकि एक-दो कर्मचारियों ने यह भी कहा कि बच्चे को किसी दूसरे परिवार ने गोद ले लिया है। ऑपरेशन करने वाली महिला चिकित्सक के बारे में पूछा गया तो पता चला कि उनके पति की तबियत खराब है इसलिए वह अस्पताल नहीं आईं। हालांकि उनके मोबाइल पर संपर्क किया गया लेकिन बात नहीं हो सकी।