Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-statistics domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the updraftplus domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114
सबसे अमीर मंदिर, जानें इनसे जुड़ी रोचक जानकारियां- Amar Bharti Media Group धर्म

सबसे अमीर मंदिर, जानें इनसे जुड़ी रोचक जानकारियां

सनातन धर्म में मंदिरों का अत्यधिक महत्व है, ऐसे में भारत में मंदिरों को बहुत अहमियत की जाती है, जिनमें में कुछ मंदिर ऐसे हैं जिनका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्‍व बहुत ज्‍यादा है।

वहीं कुछ मंदिरों में तो लोगों की इतनी आस्‍था है कि वह दिल खोलकर इन मंदिरों को दान देते हैं।ऐसे में दूर-दूर से लोग इन मंदिरों को देखने के लिए आते हैं। इसके अलावा अपनी मान्‍यताओं की वजह से इन मंदिरों में देशी-विदेशी के प्रयर्टकों का तांता लगा रहता है।

भारत के मंदिरों में दिया जाने वाला चढ़ावा हमेशा चर्चा में बना रहता हैं। हर साल मंदिर में आने वाला चढ़ावा नए रिकॉर्ड तोड़ता है। इसी में आज हम आपको भारत के ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सबसे अमीर हैं।

भारत के पांच ऐसे मंदिर जिनकी कमाई जानकर आप हैरान रह जाएंगे। लेकिन कोरोना काल में इन मंदिरों में जहां आने वालों भक्तों की संख्या में कमी आई है, वहीं इसके कारण दान में भी कमी देखी जा रही है।

इस मंदिर के बिना अधूरी है आपकी धार्मिक यात्रा- इसे भी पढ़े

 

ये हैं प्रमुख मंदिर

  • इनमें से पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक आता है। यहां हर साल करीब 500 करोड़ रुपए का चढ़ावा आता है। यह मंदिर भारत के केरल में स्थित है।
  • वहीं तिरुमाला तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर आंध्रप्रदेश के तिरुपति में स्थित है। यह मंदिर हर साल करीब 600 करोड़ रुपए की कमाई करता है। आंध्रप्रदेश के इस मंदिर में रोज हजारो लोग दर्शन करते हैं।
  • वैष्णो देवी मंदिर मंदिर भारत के जम्मू में स्थित है। इस मंदिर को हर साल 500 करोड़ रुपए की कमाई होती है।
  • साईं बाबा मंदिर पर चढ़ने वाला चढ़ावा हर साल नए रिकार्ड बनाता है। यहां कई भक्त अपना माथा टेकने पहुंचते हैं। इस मंदिर की साल भर की कमाई करीब 630 करोड़ रुपए है। यह शिरडी में स्थित है।
  • सिद्धिविनायक मंदिर भारत के मुंबई में स्थित है। इस मंदिर में एक साल में करीब 125 करोड़ रुपए का चढ़ावा आता है।
  • ऐसे में आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताते हैं, जिसकी दंतकथा से लेकर खजाने तक की कहानी बेहद रोचक है।

इससे अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य मिलता है, जानें क्‍या है पूजा विधि- इसे भी पढ़े

 

ऐसा मंदिर जिस पर कभी कोई नहीं कर सका कब्जा

हम बात कर रहे हैं भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर की। यह भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है और भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल है। यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।

इस मंदिर में हर रोज विष्णु-भक्तों की भारी भीड़ लगती है। फिलहाल इस मंदिर का संचालन सुप्रीम कोर्ट की ओर से की गई विशेष व्यवस्था के तहत किया जा रहा है।

इस मंदिर में तकरीबन पूरे साल पुनर्निर्माण का कार्य चलता रहता है। आपको बता दें कि इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।

अगर इसकी कुल संपत्ति की बात करें तो यह अनुमान लगाया जाता है कि जेवरात जैसे खजाने को मिलाकर इसकी संपत्ति करीब 97,500 करोड़ रुपए है, लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई है।

इससे जुड़ा मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए इसके संचालन, परिसंपत्तियों और धार्मिक कार्यों से जुड़े नियमों को लेकर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।

अगर मंदिर की आधिकारिक साइट की माने तो इस मंदिर में दर्शन के लिए सिर्फ हिन्दू श्रद्धालुओं को ही अनुमति है। साथ ही, उन्हें यहां भगवान के दर्शन करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है, जैसे कि मंदिर में सिर्फ धोती और अंगवस्त्रम पहनकर ही प्रवेश किया जा सकता है।

राम मंदिर के भूमि पूजन उत्सव पर हुआ भंडारा- इसे भी पढ़े

 

रोचक इतिहास

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण दसवीं शताब्दी में किया गया था, लेकिन कहीं-कहीं इस मंदिर (विदेश में भी स्थित प्रसिद्ध मंदिरों के बारे जानें) के सोलहवीं शताब्दी में होने का भी जिक्र मिलता है।

वहीं ट्रावनकोर के दिवंगत इतिहासविद् डाक्‍टर एल ए रवि वर्मा के मुताबिक इस मंदिर की स्थापना करीब पांच हजार वर्ष पूर्व यानि कलयुग के पहले दिन हुई थी।

इस मंदिर के निर्माण में द्रविड़ और केरल शैली का मिला-जुला रूप देखने को मिलता है। त्रावणकोर के एक योद्धा मार्तण्ड वर्मा ने 1750 में इसके आसपास के इलाकों को जीतकर यहां अपनी धन-संपत्ति बढ़ाई थी।

माना जाता है कि त्रावणकोर के शासकों ने शासन को दैवीय स्वीकृति दिलाने के उद्देश्‍य से राज्य भगवान को समर्पित कर दिया था और उन्हें ही राजा घोषित कर दिया था। कहा यह जाता है कि मार्तण्ड ने पुर्तगाली खजाने पर भी कब्जा कर लिया था और साथ ही, उसने यूरोपीय लोगों के व्‍यापार पर अपना पूरा अधिकार जमा लिया था। राज्य को इस व्यवसाय से काफी फायदा होता था और उससे आने वाली पूंजी को इसी मंदिर में रख दिया जाता था।

राम मंदिर भूमि-पूजन से पहले कर्नाटक में धारा-144 लागू- इसे भी पढ़े

 

मंदिर का पौराणिक महत्व

मंदिर में भगवान विष्णु की एक मूर्ति है जो शालिग्राम पत्थर से बनी हुई है। मंदिर (माता लक्ष्मी के प्रसिद्ध मंदिरों के बारें में जानें) की वेबसाइट के अनुसार किसी भी विश्वसनीय ऐतिहासिक दस्तावेज के जरिए यह बताना बहुत मुश्किल है कि मूल प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कब हुई।

पुराणों में भी है उल्लेख : कलयुग के पहले दिन हुई थी स्थापना!

पुराणों में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। श्रीमदभागवत् के अनुसार इस मंदिर में बलराम आए थे और उन्होंने पद्मातीर्थम में स्नान किया था और यहां कई तरह की भेंट चढ़़ा़ईं थी।

वहीं, ट्रावनकोर के दिवंगत इतिहासविद् डाक्‍टर एल ए रवि वर्मा के मुताबिक इस मंदिर की स्थापना करीब पांच हजार वर्ष पूर्व यानि कलयुग के पहले दिन हुई थी।

1 लाख से अधिक श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर पहुंचे- इसे भी पढ़े

 

मंदिर से जुड़ी दंतकथा

इसके आधिकारिक वेबसाइट में मंदिर को लेकर एक और दंतकथा का भी जिक्र है। मंदिर के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘अनंतासायन महात्म्य’ के अनुसार इस मंदिर में मूर्ति को कलयुग के नौ सौ पचासवें वर्ष में दिवाकर मुनि नाम के तुलु ब्राह्मण साधु ने प्रतिस्थापित किया था। वहीं, राजा कोठा मर्थान्दन ने कलियुग के 960वें वर्ष में अभिश्रावण मंडप का निर्माण कराया था।

पड़ोसी देशों में भी बिखरते हैं सावन के रंग- इसे भी पढ़े

 

ऐसे समझें तहखानों का राज

इस मंदिर में सात तहखाने हैं, जिसमें से छह तहखाने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी खोले गए थे, जिसमें 1 लाख करोड़ रुपये के हीरे और ज्वैलरी निकली थी। इसके बाद जैसे ही टीम ने 7वें दरवाजे के खोलने की शुरुआत की, तो दरवाजे पर बने कोबरा सांप के फोटो को देखकर इसका काम रोक दिया गया।

कई लोगों की मान्यता थी कि इस दरवाजे को खोलना बहुत अशुभ होगा। इस दरवाजे को सिर्फ कुछ मंत्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है। इस मंदिर को किसी और तरीके से खोला गया तो मंदिर नष्ट हो सकता है और भारी प्रलय तक आ सकता है।

दरअसल, यह दरवाजा स्टील का बना है, जिस पर दो सांप बने हुए हैं, जो इस द्वार की रक्षा करते हैं, आपको बता दें कि इसमें कोई नट-बोल्ट या कब्जा नहीं हैं।

इस मंदिर में मिले खजाने में सोने-चांदी के महंगे चेन, हीरा, पन्ना, रूबी, दूसरे कीमती पत्थर, सोने की मूर्तियां जैसी कई बेशकीमती चीजें हैं, जिनकी असली कीमत आंकना बेहद मुश्किल है।

जाकिर नाईक का नया पैंतरा- इसे भी पढ़े

 

कभी नहीं हुआ कब्जा

इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसपर कभी कोई विदेशी हमला नहीं हुआ। माना यह जाता है कि टीपू सुल्तान ने 1790 में मंदिर पर कब्जे की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें भी कोच्चि में हार का सामना करना पड़ा था और वापस लौटना पड़ा था।

टीपू से पहले भी इस मंदिर पर कई शासकों ने हमले और कब्जे की कोशिशें की गई थीं, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया था। उस समय भी इस मंदिर के खजाने और वैभव की कहानियां दूर-दूर तक फैली हुई थीं।