उद्भव प्रक्रिया के दौरान समुद्र की गहराइयों में चले जाते जीव
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नई दिल्ली। ग्लोबल वार्मिंग न सिर्फ बाहरी वातावरण बल्कि, समुद्र की गहराइयों में रहने वाले जीव-जंतुओं और पौधों के विकास और पोषण भी बुरा असर डाल रहा है। यह खतरा अब तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिससे वहां के पारिस्थितिकी क्षेत्र पर गहरा असर पड़ रहा है।
यह होता है संधि क्षेत्र
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दरअसल, महासागरों का संधि क्षेत्र 200 से करीब एक हजार मीटर तक की गहराई में होता है। यहां पानी को सूरज की रोशनी कम मिलती है, इसलिए इन्हें संधि क्षेत्र कहते हैं। हाल ही में हुए एक रिसर्च में सामने आया कि महासागरों के इस संधि क्षेत्र के जीवन को ग्लोबल वार्मिंग खतरनाक रूप से प्रभावित कर रही है।
गहरे पानी में ऐसे होती है भोजन की व्यवस्था
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ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से सागर की गहराई में जीवों के पोषण हासिल करने का तरीका बदल रहा है। इनमें से एक समुद्री बर्फ है। समुद्री बर्फ वे खाद्य और पोषक कण हैं, जो हवा से गिरकर समुद्र के पानी की गहराइयों में चले जाते हैं। कॉर्डिफ विश्वविद्यालय के इस शोध में सामने आया कि संधि क्षेत्र के सागरीय जीवन के विकास में समुद्री बर्फ काफी महत्वपूर्ण है। रिसर्च के दौरान सामने आया कि उद्भव प्रक्रिया के दौरान जीव समुद्र की गहराइयों में चले जाते हैं, क्योंकि समुद्री बर्फ धीरे-धीरे महासागरों की गहराई में जाने लगती है। ऐसे में पानी के तापमान पर भी काफी असर पड़ता है। समुद्र की गहराइयों में ठंडा पानी समुद्री बर्फ को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाता है। इससे गहरे पानी में जीवों और पौधों के लिए भोजन की व्यवस्था हो पाती है।
डेढ़ करोड़ प्रजातियां सतह के निचले इलाकों में विस्थापित
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वहीं, ग्लोबल वार्मिंग अब इस चक्र में बाधक बन रही है, क्योंकि जैसे ही तापमान बढ़ रहा है, तो संधि क्षेत्र में पोषण और खाद्य जाल का पहुंचना प्रभावित हो जाता है। बता दें कि महासागरों के साथ ही बाहर भी इससे सटे क्षेत्र में समुद्री जीवन पृथ्वी के स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव डालते हैं। इस रिसर्च में समुद्र के तलहटी की मिट्टी से पाए गए खोल के छोटे जीवाश्म का विश्लेषण किया गया। इससे यह स्पष्ट हो सके कि यहां के जीवों का जीवन समय के साथ कैसे और कितना प्रभावित होता है। रिसर्च के दौरान इस बात के प्रमाण मिले कि बीते डेढ़ करोड़ साल में कुछ प्रजातियां सतह से धीरे-धीरे निचले इलाकों में विस्थापित हो गईं।
पृथ्वी के भविष्य के लिए चिंता का सबब
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विशेषज्ञों के मुताबिक, यह हैरान करने वाला है और संभवतः यह पानी के तापमान की वजह से है। महासागर के अंदर का हिस्सा इस दौर में काफी कम हो गया। इस रेफ्रिजरेशन के प्रभाव से नीचे जाती हुई समुद्री बर्फ लंबे समय तक सुरक्षित रही और गहराई वाले क्षेत्र में डूबते रहते हुए समुद्री जीवों को भोजन प्रदान करती रही। शायद यही वजह रही कि ठंडक होने से इस क्षेत्र की गहराइयों में जीवन और विविधता पनपने का मौका मिला। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इन परिणामों का महासागरों के गर्म होने से पृथ्वी के भविष्य के लिए चिंता का बड़ा कारण बन सकता है। ऐसे बदलाव धरती के पारिस्थितिकी तंत्र को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं।