
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अपराधियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में पुलिस ने पिछले 8 वर्षों में जिस सख्ती का प्रदर्शन किया है, उसने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “जीरो टॉलरेंस” नीति के तहत यूपी पुलिस ने अपराध और अपराधियों के खिलाफ बिना किसी समझौते के कड़ी कार्रवाई की है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते आठ वर्षों में प्रदेश में कुल 10,000 से अधिक पुलिस मुठभेड़ें हुई हैं, जिनमें 238 कुख्यात अपराधियों को मार गिराया गया। यही नहीं, 9467 अपराधी मुठभेड़ों में घायल हुए, जबकि 30,694 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। यह आँकड़े दर्शाते हैं कि यूपी पुलिस का रुख अपराध के प्रति कितना कठोर और परिणामदायी रहा है।
अगर ज़ोनवार बात करें तो मेरठ सबसे आगे रहा, जहां अकेले 80 अपराधियों का एनकाउंटर किया गया। वाराणसी में 26, लखनऊ कमिश्नरेट में 11, आगरा में 20, प्रयागराज में 10, बरेली में 15, गोरखपुर में 8, कानपुर में 11 और लखनऊ में 15 एनकाउंटर हुए।
इन मुठभेड़ों में अधिकतर अपराधी हत्या, लूट, अपहरण, फिरौती, गैंगस्टर एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम जैसी गंभीर धाराओं में वांछित थे। पुलिस ने न सिर्फ इन अपराधियों को पकड़ा बल्कि समाज में उनके भय का अंत भी किया।
राज्य सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, यह कार्रवाई केवल अपराधियों को खत्म करने के लिए नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सभी मुठभेड़ें कानूनी प्रक्रिया और आत्मरक्षा के तहत की गई हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार सार्वजनिक मंचों से दोहराया है कि “राज्य में अपराध और अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है। जो कानून को चुनौती देगा, उसे कानून जवाब देगा।”
वहीं मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों ने कुछ एनकाउंटरों पर सवाल भी उठाए हैं, लेकिन सरकार का तर्क है कि हर कार्रवाई नियमों के दायरे में रहकर की गई है। यूपी पुलिस का दावा है कि प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में भारी गिरावट आई है और आम जनता में सुरक्षा की भावना मजबूत हुई है।
यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश सरकार अपराधियों के खिलाफ “कड़ा और निर्णायक” रुख अपनाए हुए है। आने वाले समय में भी पुलिस की यह कार्रवाई जारी रहेगी और अपराधियों को या तो सुधरने का मौका मिलेगा या फिर कानून के शिकंजे में आने के लिए तैयार रहना होगा।