दक्षिण एशिया में पहली बार हुआ ‘मेक इन इंडिया’ ड्रोन का इस्तेमाल
नई दिल्ली। भारत भर में कोरोना महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में सभी वयस्क देशवासी टीकाकरण अभियान में सहयोग दे कर लड़ रहे हैं। भारत में इस महामारी को जड़ से ख़त्म करने के लिए सभी का टीकाकरण करना सबसे अधिक ज़रूरी है। लेकिन देश के उत्तर इलाकों के राज्य (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि) में मुफ्त वैक्सीन का धन्यवाद करने के बैनर तले हम देश के उन सुदूर इलाकों को भूल गए थे जहां स्वास्थ्य सुविधाएं नमक बराबर लाभार्थियों को छू पाती है। लेकिन इस बार हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ ऐसा कर दिखाया जिससे पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के दुर्गम इलाकों में भी इतनी सुगमता से ड्रोन के जरिए टीके की खेप पहुंचाई गई, जिससे उन लोगों और सरकार के बीच की दूरी कम हो गई जो दूर इलाकों में रहने के कारण टीका लगवाने में असमर्थ थे। दरअसल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को ड्रोन के जरिए पूर्वोत्तर के दुर्गम इलाकों में कोविड-19 टीके की आपूर्ति सुविधा की शुरुआत की। मनसुख मंडाविया ने जानकारी दी कि ड्रोन की मदद से कोविड-19 टीकों को 15 किलोमीटर की हवाई दूरी पर स्थित जगह पर 12-15 मिनट में पहुंचा दिया गया।
मनसुख मंडाविया ने दी जानकारी
मांडविया ने कहा, ‘यह पहली बार है कि दक्षिण एशिया में ‘मेक इन इंडिया’ ड्रोन का उपयोग कोविड-19 टीके को 15 किलोमीटर की हवाई दूरी पर स्थित जगह पर 12-15 मिनट में पहुंचाने के लिए किया गया। इन टीकों को पीएचसी में लाभार्थियों को लगाए जाने के वास्ते मणिपुर में बिष्णुपुर जिला अस्पताल से लोकटाक झील, कारंग द्वीप पहुंचाया गया।’ साथ ही मांडविया ने विश्वास व्यक्त किया कि यह पहल न केवल टीके बल्कि अन्य चिकित्सा आपूर्ति देने में भी मददगार हो सकती है।
ड्रोन के जरिए कई लोगों को लगेंगे टीके
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के हवाले से जानकारी मिली कि, सोमवार को ड्रोन की मदद से पीएचसी में 10 लाभार्थियों को पहली खुराक और आठ को दूसरी खुराक मिलेगी।