लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुछ माह पहले से डेरा जमाकर मजबूत विपक्ष बनने का दावा कर रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी फिलहाल ‘गायब’ हैं।
उन्होंने राजधानी में घर तो खोज लिया, लेकिन उनकी जगह अब आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने ले ली हैं। संजय बीते कई माह से लखनऊ में डेरा जमाकर जमीनी सियासत को गर्माए हुए हैं।
यूपी में लंबे अरसे से सत्ता से दूर रही कांग्रेस यहां अपनी जमीन लगभग खो चुकी थी। ऐसे में प्रियंका को यूपी का इंचार्ज बनाए जाने से प्रदेश में कांग्रेस को कुछ संजीवनी मिलती नजर आ रही थी।
प्रभारी के तौर पर प्रियंका जब लखनऊ आईं तो उन्होंने कहा भी था कि अब वह यहीं रहकर कांग्रेस की जमीन मजबूत करेंगी। उनके लिए लखनऊ में घर भी तलाश लिया गया।
तब कांग्रेसियों में भी जोश जागा
दिल्ली में जब उनका सरकारी आवास खाली हुआ तो फिर चर्चा तेज हुई कि प्रियंका लखनऊ स्थित एक बंगले को अपने राजनीतिक बेस के तौर इस्तेमाल करेंगी। कांग्रेसियों में भी जोश जागा और वह सड़क पर भी नजर आया।
हालांकि, बस कांड में ‘अपनों’ की वजह से हुई फजीहत के बाद प्रियंका की यूपी की राजनीति में सक्रियता तो दिखती है, लेकिन सिर्फ सोशल मीडिया पर।
शायद ही कोई घटना हो, जिसको लेकर वह सोशल मीडिया के जरिए राज्य सरकार को कटघरे में न खड़ा करती हों।
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प्रियंका के फैसले पर सबकी नजरें
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो प्रियंका के आने के बाद यूपी के कांग्रेसियों में जो जोश जगा था, वह धीरे-धीरे ठंडा पड़ने लगा है।
अगर वह लखनऊ को अपना राजनीतिक बेस बनातीं तो यूपी में पार्टी की स्थिति आज दूसरे विपक्षी दलों से कई गुना अच्छी होती।
यूपी पर AAP की खास निगाहें
दूसरी ओर, एक दशक पहले पैदा हुई आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने लखनऊ को बेस बनाकर यूपी में अपना डेरा जमा लिया।
लगातार जनहित से जुड़े मुद्दे उठाकर वह सरकार की आंख की किरकिरी बन गए हैं। पिछले एक माह में यूपी के कई जिलों में संजय के खिलाफ दस एफआईआर दर्ज हुई हैं।
संजय न सिर्फ जनहित के मुद्दों पर पार्टी को सड़क पर उतार रहे हैं बल्कि संगठन को मजबूती और विस्तार भी दे रहे हैं।
खास बात यह है कि संगठन को बढ़ाने में ‘आप’ की निगाह उन पुराने कांग्रेसियों पर जो पिछले कुछ समय से पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं।
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यूपी को भाती है जमीनी सियासत
यूपी की राजनीति में विपक्ष सिर्फ सोशल मीडिया पर है। एसपी प्रमुख अखिलेश यादव हों या बीएसपी सुप्रीमो मायावती, दोनों सोशल मीडिया से अपनी बात पहुंचा रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूपी को जमीनी सियासत ही भाती है। अगर प्रमुख विपक्षी दल इसी तरह जमीन से गायब रहे तो ‘आप’ अपनी जगह बना लेगी।