विश्व साइकिल दिवस : हार्ट, माइंड और फिजिकल फिटनेस के लिए जरूरी साइकिलिंग

नई दिल्ली। लंबे अरसे से ‘साइकिल’ और ‘इंसान’ के बीच एक अटूट रिश्ता रहा है। यह भी कहा जा सकता है कि शायद ही किसी का बचपन साइकिल चलाने से वंचित रहा होगा। दरअसल, साइकिल ही वह सहारा रही है, जिसके माध्यम से लोग पहले कोसों दूर अपने स्कूल तक जल्दी पहुंचते थे, लेकिन तब साइकिल समय बचाने का साधन समझी जाती थी। आज के इस आधुनिक दौर में वही साइकिल लोगों को स्वस्थ रखने के काम आ रही है। सेना व पुलिस के बड़े-बड़े अधिकारियों से लेकर चिकित्सक और युवा साइकिलिंग को अपने स्वस्थ शरीर का राज बताते हैं।

आज लोगों में साइकिल खरीदने का क्रेज

बात जब फिजिकल फिटनेस की आ जाए तो भला कौन पीछे रहना चाहता है। अपने आप को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए लोग तमाम तरीके अपनाते हैं। इनमें से एक साइकिलिंग भी है। पहले कभी साइकिल चलाना यह दर्शाता था कि आप आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं हैं, लेकिन अब यही साइकिलिंग धनाढ्य लोगों के शरीर को स्वस्थ रखने का साधन बनती जा रही है। जो चिकित्सक लोगों को तमाम बीमारियों का उपचार करते हुए दवाओं की निरंतरता रखने की सलाह देते हैं, वहीं स्वयं वे साइकिलिंग को बेहतर मानते हुए इसे अपनाते नजर आते हैं। खासतौर पर आज के दिनों में महंगी साइकिल चलाना युवाओं व धनी लोगों का क्रेज बनता जा रहा है।

80-90 साइकिलें बिकतीं प्रतिमाह

इस सम्बंध में चर्चित साइकिल शो रूम डीपी इन्टरप्राईजेज के संचालक पीयूष रावत बताते हैं कि उनके यहां ब्रांडेड साइकिल बेची जाती है। खास तौर पर आर्मी के अधिकारी, पुलिस अधिकारी, चिकित्सक व युवा उनके साइकिल शो रूम से साइकिल खरीदते हैं। महीने में करीब 80 से 90 साइकिल की बिक्री उनके शो रूम से होती है।

महंगी साइकिल खरीदने का क्रेज

उन्होंने बताया कि यही नहीं उनके यहां जो सबसे ज्यादा साइकिल खरीदने का क्रेज देखा जाता है। उसकी कीमत करीब 25 से 30 हजार तक होती है। इतनी महंगी साइकिल खरीदे जाने के कारण पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि एक तो इनकी गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है। दूसरा लाइफ टाइम चेचिस खराब न होने की गारंटी होती है और तीसरी खासियत यह है कि इसके गियर विश्व प्रसिद्ध शुमार कंपनी के होते हैं।

झाँसी डीआईजी रोज 50 किमी चलाते साइकिल

पीयूष रावत ने बताया कि वर्तमान में झांसी डीआईजी जोगिन्दर सिंह व उनकी पत्नी सबसे ज्यादा साइकिल के शौकीन हैं। उनके पास 12 ब्रांडेड साइकिल हैं। एक मुलाकात के दौरान डीआईजी ने खुद पीयूष को बताया कि वह प्रतिदिन करीब 50 किमी साइकिल चलाते हैं। यही नहीं पूर्व में जनपद के एसएसपी दिनेश कुमार तो एक दिन साइकिल चलाते हुए जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर बबीना के समीप स्थित सुकुवां-ढुकुवां बांध जा पहुंचे थे। तब उनके साइकिलिंग के चर्चे गली-गली सुनने को मिले थे। हालांकि उन्होंने स्टाफ के लोगों को इस बात की जानकारी आम न करने को कहा था। फिर भी खबर हो गई थी।

चिकित्सक, सैन्य अधिकारी भी खरीद चुके साइकिल

पीयूष ने बताया कि अब तक सेना के तमाम अधिकारी व डॉ. सुखदीप, डॉ. मनदीप आदि भी उनसे साइकिल खरीद चुके हैं। यह तो कुछ खास नाम हैं, जो उन्हें याद हैं। इनके अलावा भी तमाम लोग साइकिलिंग के शौकीन हैं। युवा वर्ग भी महंगी साइकिल खरीदने के शौकीन हैं।

दिल और दिमाग रहता स्वस्थ

राघवेंद्र हॉस्पिटल के संचालक डॉ. आर. आर. सिंह बताते हैं कि साइकिलिंग दिल और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखने का सर्वोत्तम साधन है। लोगों को यह पता भी नहीं होता कि उन्होंने दिमाग की कसरत कैसे कर ली। अधिकांश लोग यही जानते हैं कि साइकिल चलाने से केवल मांसपेशियों की कसरत ही होती है, लेकिन वास्तव में जाने-अनजाने में हम अपने दिमाग की भी बेहतर कसरत करते हैं। साइकिल को संतुलित रखने के लिए हमें दिमाग का बेहतर उपयोग करना होता है। हम दिमाग का जितना ज्यादा उपयोग करेंगे हमारा दिमाग उतना ही स्वस्थ रहता है और हमारे दिमाग की यूं ही कसरत हो जाती है। उन्होंने बताया कि सड़क या पक्के फर्श पर चलने से पैरों की हड्डियों को नुकसान होता है लेकिन साइकिल चलाने से केवल लाभ ही लाभ हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *