जल संचयन लागू होने से ही दिल्ली में पूरी हो सकती है पानी की मांग

अमर भारती : देश की राजधानी दिल्ली में हमेशा से ही पानी को लेकर लोगों में बड़ी समस्या रही है, लेकिन अब दिल्ली जल बोर्ड ने हाईकोर्ट में यह दावा किया है कि राजधानी दिल्ली में अगर नागरिक निकाय, सार्वजनिक प्राधिकरण बारिश के पानी, गैर पीने योग्य पानी को सिंचाई, बागवानी जैसे कार्यों में इस्तेमाल किया जाए तो पानी की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकता है। जल बोर्ड ने कहा कि इसके अलावा जल संचयन के उपायों को भी सख्ती से लागू किया जाए।

बता दें कि जल बोर्ड ने हाईकोर्ट में यह हलफनामा एक जनहित याचिका पर पेश किया है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की खंडपीठ के समक्ष जल बोर्ड ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि राजधानी की पानी की वर्तमान आवश्यकता प्रतिदिन 1140 मिलियन गैलन है। इसमें से 93.5 करोड़ गैलन भूजल और यमुना नदी के कच्चे पानी जैसे स्रोतों से आता है।

हालांकि आने वाले समय में राजधानी में पानी की मांग 13.80 करोड़ गैलन और बढ़ सकती है। ऐसे में इस जरूरत को पूरा करने के लिए वर्षा जल संचयन जैसे वैकल्पिक साधनों पर काम करने की जरूरत है। इस तरह के उपायों से भूजल का इस्तेमाल कम हो सकेगा और इसे रिचार्ज करने में मदद मिलेगी।

इसके साथ ही हाईकोर्ट को जल बोर्ड ने यह भी सुझाव दिया है कि नगर निकाय और दिल्ली विकास प्राधिकरण जैसे संस्थानों को संशोधित भवन कानून को सख्ती से लागू करना चाहिए। इसके अनुसार, 100 वर्ग गज या उससे अधिक के भूखंड के आकार के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली अनिवार्य है।