इतिहास में 12 जून : वो सब मिलकर ‘दबा’ रहे थे और हमारा बढ़ता जा रहा था ‘दबदबा’

…जब “अटल भारत” पर जी-8 ने लगाये थे आर्थिक प्रतिबन्ध

परमाणु शक्ति सम्पन्न भारत के मनोबल से दुनिया के बड़े मुल्क हुए थे हैरान

नई दिल्ली। इतिहास की हर तारीख प्रेरणा और सबक देती है। हर साल जब ये तारीख दोबारा सामने आती है, तब वह किसी व्‍यक्‍ति, समूह, समाज और देश को यह सोचने पर जरूर विवश करती है कि वर्तमान की इस तारीख पर कहां पहुंचे हैं। इतिहास के पन्‍नों में दर्ज इन्‍हीं तारीखों में 12 जून भी है। इसी दिन दुनिया के शक्‍तिशाली देशों ने भारत की बढ़ती परमाणु ताकत पर अपनी नाराजगी जाहिर करने के बाद आर्थ‍िक प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी थी।

आर्थ‍िक प्रतिबंध से आर्थ‍िक सम्‍पन्‍नता तक ‘भारत’

भारत के संदर्भ में यह दिन इतना आत्‍म गौरव और स्वाभिमान को पुष्‍ट करने वाला होगा, यह तो किसी ने सोचा ही नहीं था वे आर्थ‍िक प्रतिबंध लगा रहे थे और हम आर्थ‍िक रूप से सम्‍पन्‍न होने के लिए आत्‍मनिर्भरता की ओर बढ़ चले थे।

बात वर्ष 1998 की है जब 11 से 13 मई के बीच तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्‍व में देश में ‘पोखरण-2’ फिर से दोहराया गया। इसके तहत पांच परमाणु बमों का परीक्षण किया गया था। ये देश का दूसरा परमाणु परीक्षण था। इसके तुरंत बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने भारत को पूर्णतया रूप से परमाणु संपन्न देश घोषित कर दिया।

संसद में बोले थे अटल ‘ये बदला हुआ भारत है’

इन परीक्षणों से नाराज हो कर कई देशों ने भारत पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए, जिनमें सबसे ऊपर थे जी-आठ देश (कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली व रूस) इन्‍होंने घोषणा कर दी कि वे भारत को ऋण उपलब्‍ध नहीं कराएंगे। इस पर वाजपेयी ने संसद में दिए अपने भाषण से विश्‍व भर के देशों को संदेश दिया कि “ये भारत बदला हुआ भारत है, दुनिया से आंख मिलाकर और हाथ मिलाकर चलना चाहता है। किसी प्रतिबंध से झुकेगा नहीं और शांति और सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा। ”

मुश्किल वक़्त में सफलता की चौखट पर एकजुट भारतीय

देश में हुए इस परमाणु परीक्षण के बाद जैसे पूरे विश्‍व में भारत को देखने का नजरिया अब बदलने लगा था। यह सर्वविदित है कि जब दुनिया के शक्‍त‍िशाली देशों ने भारत पर अपने आर्थ‍िक प्रतिबंध थोपे, तो विश्‍व भर में रह रहे भारतीय, वाजपेयी सरकार की मदद करने आगे आ गए थे। इसी के साथ यह बात भी इतिहास में दर्ज हो गई कि वाजपेयी के कार्यकाल में लगाए गए आर्थ‍िक प्रतिबंधों के बावजूद भारत तेजी के साथ अपने उन्‍हीं भारतीय नागरिकों की दम पर आगे बढ़ता रहा, जो दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे हैं, लेकिन उनका दिल सदैव भारत के लिए धड़कता है।

आईटी सेवा लेने सबसे आगे कूदे जी-8 देश

यहां उत्‍साह से भर देने वाली बात यह है कि जब जी-8 के देश हमारे निर्यात पर प्रतिबंध लगा रहे थे, हमें आर्थ‍िक रूप से कमजोर करने का प्रयास कर रहे थे। तब भारत तेजी के साथ उठ खड़ा हो रहा था। उनके इन प्रतिबंधों का सकारात्‍मक असर यह हुआ कि भारत की शक्‍ति कई क्षेत्रों में एक साथ उभरकर सामने आई। उसकी क्षमता को पूरी दुनिया ने स्‍वीकारा। आईटी के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को लेकर नयी समझ सामने आने से भारतीय बौद्ध‍िकता पर वैश्‍विक निर्भरता बढ़ी, जिनमें सबसे अधि‍क यही जी-8 के देश रहे।

लगे आर्थ‍िक प्रतिबंध, तो भारत में शुरू हुई बड़ी योजनाएं

इन आर्थ‍िक प्रतिबंधों का असर यह भी हुआ कि वाजपेयी ने सड़कों के माध्यम से भारत को जोड़ने की योजना बनाई। उन्होंने चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना लागू की। ग्रामीण अंचलों के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना सामने आई। उनके इस निर्णय ने देश के आर्थिक विकास को तेजी के साथ गति मिली ।

इन देशों का प्रतिबंध भारत में निजीकरण को बढ़ावा-विनिवेश की शुरुआत करने का कारण बना। भारत में संचार क्रांति के बाद आर्थ‍िक प्रतिबंधों के बीच उसे आम लोगों तक पहुंचाने का काम वाजपेयी सरकार ने किया। 1999 में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के एकाधिकार को समाप्‍त कर नई टेलिकॉम नीति लागू की गई। आज उसके सुखद परिणाम हम सभी के सामने हैं। विकसित देशों से कई गुना सस्‍ती टेलिकॉम सुविधा भारत में है।

देश में शुरू हुआ ‘सर्व शिक्षा अभियान’

छह से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का सर्व शिक्षा अभियान भी इसी समय शुरू हो सका। आतंरिक सुरक्षा के लिए सख्त कानून पोटा कानून, जो कि बेहद सख्त आतंकवाद निरोधी कानून था, वह भी देश में कड़ाई से लागू किया गया।