
भारत में यदि सबको टीका लगाया जाए तो 270 करोड़ के आसपास (एक टीके के कम से कम दो डोज के लिए) सिरिंज की जरूरत होगी. लेकिन यदि 70 फीसदी आबादी को भी टीका लगे तो भी कम से कम 180 करोड़ सिरिंज की जरूरत होगी. हालांकि जानकारों का मानना है कि पूरी जनसंख्या को टीका लगाने में कम से कम 2 साल लग जाएंगे. भारत सरकार अगले साल जुलाई तक कम से कम 30 करोड़ भारतीयों को कोविड-19 टीका लगाने की तैयारी कर रही है.
ये है सबसे बड़ी कंपनी
हिंदुस्तान सिरिंज ऐंड मेडिकल डिवाइज (HMD) देश में सिरिंज उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है. जून, 2020 तक कंपनी की उत्पादन क्षमता 57 करोड़ सिरिंज सालाना की थी, लेकिन अगले साल जूत तक कंपनी इसे बढ़ाकर 100 करोड़ तक करने की तैयारी कर रही है.
डिस्पोवैन ब्रैंड नाम से सिरिंज बनाने वाली एचएमडी के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव नाथ ने हाल में मीडिया से कहा था, ‘हम जून तक अपनी सालाना उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 57 करोड़ ऑटो डिसेबल सिरिंज (0.5 ml) तक कर लेंगे. हमें सिरिंज ऑर्डर के बारे में पूछताछ आने भी लगी है.’
कंपनी संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ को भी सिरिंज आपूर्ति करती है. नाथ ने बताया कि सालाना उत्पादन का आधा यूनिसेफ को और आधा भारत में सप्लाई किया जाएगा. कंपनी ने कोवैक्स टीके लिए यूनिसेफ को करीब 10 करोड़ सिरिंज भेज भी दिया है. यानी भारत में कंपनी करीब 27 करोड़ सिरिंज ही जून तक दे पाएगी.
इस कंपनी को सरकार से मिला ऑर्डर
देश में सिरिंज की एक और बड़ी कंपनी है इस्कॉन सर्जिकल्स. राजस्थान मुख्यालय वाली इस कंपनी को मोदी सरकार से अक्टूबर में 5.2 करोड़ सिरिंज के ऑर्डर मिले हैं. इसके अलावा कंपनी का पहल से ही अगले डेढ़ साल में 20 करोड़ सिरिंज सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट है. कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट संदीप भंडारी ने हाल में मीडिया से कहा कि अगले महीने मोदी सरकार से उन्हें एक और ऑर्डर मिल सकता है.
50 फीसदी खपत चीनी कंपनी द्वारा!
भारत की डिसेबल सिरिंज जरूरतों का करीब आधा हिस्सा यही 2 कंपनियां मिलकर करती हैं. इसके अलावा 50 फीसदी जरूरतों की पूर्ति चीनी कंपनी Wuxi मेडिकल अप्लायेंसेज करती है. भारत में वैसे तो सिरिंज बनाने वाली करीब 20 कंपनियां हैं, लेकिन डिसेबल सिरिंज (जिनका फिर इस्तेमाल न हो सके) का उत्पादन यही दो कंपनियां करती हैं. एक सिरिंज की औसत कीमत 2 रुपये के आसपास होती है.
कंपनी की फिलहाल उत्पादन क्षमता 2 करोड़ यूनिट प्रति महीने की है, जिसे वह बढ़ाकर 7.5 करोड़ यूनिट करने की तैयारी कर रही है. यही नहीं, सिरिंज उत्पादकों की संस्था ऑल इंडिया सिरींज ऐंड नीडल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (AISNMA) ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को लेटर लिखकर प्रस्ताव दिया है कि पूरे देश के लोगों को टीका लगाने के अभियान के लिए वह जरूरत पड़ने पर 35 करोड़ यूनिट प्रति महीने की अतिरिक्त क्षमता पैदा कर सकता है.
दुनिया भर में सिरिंज की मांग करीब 10 अरब की हो सकती है. इसकी वजह यह है कि एक टीके के कम से कम दो डोज लगाने की जरूरत होगी. दुनिया की यदि 60 फीसदी आबादी को ही टीका लगाया जाए तो भी 8 से 10 अरब टीके की आवश्यकता होगी.
स्टोरेज की समस्या
एक समस्या यह भी है कि इतने बड़े पैमाने पर बनने वाले सिरिंज को रखा कहां जाएगा? सरकारी वेयरहाउस में सालाना नियमित टीकाकरण कार्यक्रम बच्चों के लिए बड़े पैमाने पर सिरिंज रखे गये हैं. बच्चों और गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण कार्यक्रम के लिए सरकार हर साल 30 करोड़ से लेकर 350 करोड़ तक ऑटो डिसेबल सिरिंज खरीदती है. लेकिन इस साल कोरोना की वजह से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में भी अवरोध है, इसलिए इन स्टोरेज में शायद 50 से 60 फीसदी का ही इस्तेमाल हो रहा हो.
किस तरह का सिरिंज
अभी कंपनियों के सामने दुविधा यह भी है कि वे किस तरह की सिरिंज का उत्पादन बढ़ाएं इंट्रा डर्मल डिलीवरी वाले (स्किन में लगाने वाले ) या इंट्रा नजल डिलीवरी (नाक से दिये जाने वाले) या ओरल डिलीवरी (मुंह से दिये जाने वाले) टीके के लिए. इसीलिए कंपनियां सरकार की तरफ से इस बारे में मामला साफ होने और ऑर्डर मिलने का इंतजार कर रही हैं. उसके बाद ही ये आगे बढ़ पाएंगी.