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सर्वे भवन्तु सुखिनः : महाराष्ट्र पहुँची ऑक्सीजन एक्सप्रेस- Amar Bharti Media Group राष्ट्रीय

सर्वे भवन्तु सुखिनः : महाराष्ट्र पहुँची ऑक्सीजन एक्सप्रेस

केवल 50 घण्टे में तय की 1850 किलोमीटर से अधिक की दूरी

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने ऑक्सीजन एक्सप्रेस के परिचालन को एक चुनौती के रूप में लिया और कलंबोली से विशाखापट्टणम तक और वापस नासिक तक पहली ऑक्सीजन एक्सप्रेस सफलतापूर्वक चलाई। जिस पल रेलवे को, लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंकरों के आवागमन के लिए जैसे ही निवेदन मिला , तुरंत काम शुरू हुआ। मुंबई टीम द्वारा किए गए काम की सराहना की जानी चाहिए क्योंकि कलंबोली में केवल 24 घंटे में रैंप बनाया गया है।

ऊंचाई एक महत्वपूर्ण पहलू

रो-रो सेवा के आवागमन के लिए रेलवे को कुछ स्थानों पर घाट सेक्शन, रोड ओवर ब्रिज, टनल, कर्व्स, प्लेटफॉर्म कैनोपीज़, ओवर हेड इक्विपमेंट आदि विभिन्न बाधाओं पर विचार करते हुए पूरे मार्ग का एक खाका तैयार करना था क्योंकि इस मूवमेन्ट में ऊंचाई एक महत्वपूर्ण पहलू है, रेलवे ने वसई के रास्ते मार्ग का खाका तैयार किया। 3320 मिमी की ऊंचाई वाले सड़क टैंकर T1618 के मॉडल को फ्लैट वैगनों पर रखा जाना संभव पाया गया।

प्रेशर से बचाव की भी ज़िम्मेदारी

चूंकि, ऑक्सीजन क्रायोजेनिक और खतरनाक रसायन है, इसलिए रेलवे को अचानक एक त्वरण, मंदी से बचना पड़ता है। बीच-बीच में प्रेशर की जांच करनी पड़ती है। खासकर, जब यह भरी हुई स्थिति में हो। फिर भी, रेलवे ने इसे चुनौती के रुप में लिया। मार्ग का खाका तैयार किया। लोगों को प्रशिक्षित किया और इन विशेष आकार के टैंकरों को वसई, सूरत, भुसावल, नागपुर मार्ग के माध्यम से विशाखपट्टणम तक ले जाया गया।

12 घण्टे में नागपुर से नासिक

कलंबोली और विविशाखपट्टणम के बीच की दूरी 1850 किमी से अधिक है, जो इन टैंकरों द्वारा केवल 50 घंटों में पूरी की गई थी। 100 से अधिक टन एलएमओ (लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन) वाले 7 टैंकरों को 10 घंटे में लोड किया गया और केवल 21.00 घंटे में वापस नागपुर ले जाया गया। रेलवे ने कल नागपुर में 3 टैंकरों को उतार दिया है और शेष 4 टैंकर आज सुबह 10.25 बजे नासिक पहुंच गए हैं, यानि नागपुर से नासिक का अंतर केवल 12 घंटे में पूरा किया।

ग्रीन कॉरिडोर का विशेष महत्व

ट्रेनों के माध्यम से ऑक्सीजन का परिवहन, सड़क परिवहन की तुलना में लंबा है, परंतु फ़ास्ट है। रेलवे द्वारा परिवहन में दो दिन लगते हैं, जबकि सडक मार्ग द्वारा 3 दिन लगते है। ट्रेन दिन में 24‌ घंटे चलती है। ट्रक ड्राइवरों को रोड पर हाल्ट आदि लेने की आवश्यकता होती है। इन टैंकरों की तेज गति के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है और आवाजाही की निगरानी शीर्ष स्तर पर की गयी है क्योंकि हम जानते हैं कि यह हमारे लिए एक कठिन समय है। हमारे लिए राष्ट्र सबसे पहले है।

राष्ट्र को समर्पित रेलवे

रेलवे ने आवश्यक वस्तुओं का परिवहन किया और पिछले साल लॉकडाउन के दौरान भी आपूर्ति श्रृंखला को बरकरार रखा और आपात स्थिति में राष्ट्र की सेवा जारी रखी है।

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