नई दिल्ली। देश में जब से कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने दस्तक दी है तब से कही राज्यों में प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। इन प्रतिबंधों के चलते 80 फीसदी दुकानें बंद हैं। वहीं जो सिर्फ 20 फीसदी खुली हैं वहां ग्राहक नहीं आ रहे हैं। इसी के बीच रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से आशंका जाहिर की गई है कि अगर जल्द सरकार और रिजर्व बैंक मदद के लिए सामने नहीं आया तो सीधे तौर पर 40 लाख नौकरियां जाने का खतरा है।
कर्मचारियों की तन्ख्वाह दी जा सके
संगठन ने मांग की है कि इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम दायरा
रिटेल कारोबारियों के लिए बढ़ाया जाए। वहीं छह महीने तक लिए गए कर्ज के मूलधन और ब्याज पर मोरटोरियम देने की भी मांग की गई है। सरकार से रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने ये भी अपील की है है कि रिजर्व बैंक के जरिए कारोबारियों की कार्यशील पूंजी का दायरा बढ़ाते हुए उन्हें विशेष कर्ज दिया जाए। ये कर्ज उनकी सीमा का 30 फीसदी अधिक होना चाहिए ताकि मौजूदा कई राज्यों में लॉकडाउन और सख्त कर्फ्यू जैसे हालात में कर्मचारियों की तन्ख्वाह दी जा सके।
10 लाख नौकरियां जुड़ी हुई है
इस बात की आशंका जताई गई है कि अगर इस दिशा में सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ तुरंत कोई सहायता नहीं की गई तो 75 हजार करोड़ रुपये तक का निवेश एनपीए हो सकता है। यही नहीं इससे सीधे पूरे क्षेत्र में तीस लाख नौकरियां भी खतरे में आ जाएंगी और रिटेल क्षेत्र से प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर जुड़े दूसरे क्षेत्रो में भी नौकरियां जानी शुरू हो जाएंगी। जिसमें से अकेले टेक्सटाइल क्षेत्र की ही 10 लाख नौकरियां जुड़ी हुई हैं।
असर पूरी वैल्यू चेन पर पड़ेगा
इससे सीधे तौर पर मैन्युफैक्चरिंग, एंटरटेन्मेंट जैसे दूसरे बड़े उद्योग जुड़े होते हैं। ऐसे में यहां आने वाली मुश्किलों का असर पूरी वैल्यू चेन पर पड़ता दिखेगा। और अगर इसे सहारा नहीं दिया गया तो दूसरी जगहों से भी नौकरियां जाने और मंदी जैसे हालात पैदा होने शुरू हो सकते हैं।