कोरोना के लम्बे संक्रमण काल में आजादी की 74वीं वर्षगॉठ पर प्रधानमंत्री के भाषणों में देश की तरक्की, चुनौतियों और संभावनों के साथ जो संदेश देश की जनता को मिला है वह इस बात का संकेत है कि देश की जनता को आने वाले वर्ष 2021 में भी कोरोना काल के इस संक्रमण के बीच उपजी विषमताओं और आर्थिक और सामाजिक हानियों की भरपाई करनी होगी।
मतलब साफ है कि आने में समय में जनता को धैर्य, संयम, कम खर्च के साथ ही आत्मनिर्भरता को मूल मंत्र के रूप में अपने जीवन में आत्मसाथ करना होगा। पड़ोसियों से बढ़ता खतरा,खेती योग्य भूमि की खराब हालत, जल संकट, प्लास्टिक प्रदूषण, जनसंख्या विस्फ ोट, आत्मनिर्भरता, लोकलवोकल जैसे विषयों को उठाते हुए आजादी के जश्न के दौरान लाल किले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अभिभाषण ने जनता को कई संकेत दिये है।
पीएम मोदी ने भारत को वैश्विक पटल पर लाने की तमाम योजनाओं, संकल्पों और कार्यों के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज भारत ने असाधारण समय में असंभव को संभव किया है। इसी इच्छाशक्ति के साथ प्रत्येक भारतीय को आगे बढऩा है।
वर्ष 2022, हमारी आजादी के 75 वर्ष का पर्व, अब बस आ ही गया है। उन्होंने कहा, 21वीं सदी के इस दशक में अब भारत को नई नीति और नई रीति के साथ ही आगे बढऩा होगा। अब साधारण से काम नहीं चलेगा।
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यह लक्ष्य हमारी प्रतीक्षा कर रहा है, लेकिन उस तक पहुंचने के पहले हमें उस अवरोध को दूर करना होगा जो इस महामारी ने भी उत्पन्न कर दिया है। एक ऐसे समय जब शासन-प्रशासन के विभिन्न अंग और विशेष रूप से चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी और सुरक्षाकर्मी कोरोना वायरस के संक्रमण को मात देने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं और इस क्रम में अपना बलिदान भी दे रहे हैं, तब देश के हर नागरिक का यह फर्ज बनता है कि वह उन उपायों को कारगर बनाने में योगदान दे जो इस महामारी को मात देने के लिए आवश्यक हैं।
यह कितना महत्वपूर्ण है, इसे इससे समझा जा सकता है कि इस बात को स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी रेखांकित किया। राष्ट्रपति ने कोरोना योद्धाओं का स्मरण करते हुए सीमाओं की रक्षा करते समय अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले वीर सैनिकों को भी नमन किया। इन सैनिकों का बलिदान देश को हमेशा याद रहना चाहिए। यह अच्छा हुआ कि राष्ट्रपति ने देश-दुनिया का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया कि दुष्ट पड़ोसी देश यानी चीन अपने विस्तारवादी रवैये का प्रदर्शन करने में लगा हुआ है।
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एक तरह से उन्होंने यही संकेत किया कि हमें देश के भीतर पैदा हो रहे खतरों से निपटने के साथ ही सीमाओं पर खड़े किए जा रहे खतरों का भी सामना करना है। यह तभी संभव है जब हम भारत के लोग मतभेद भूलकर एकजुटता का प्रदर्शन करने और साथ ही अपने हिस्से की जिम्मेदारी का परिचय देने के लिए सचेत रहें।
यही वह रास्ता है जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के रूप में हमारी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है। इससे बेहतर और कुछ नहीं कि भारत देश की स्वतंत्रता का यह पर्व हर किसी को उसकी जिम्मेदारियों का अहसास कराए।