अमर भारती : गोवर्धन। बृज तीर्थ विकास परिषद एवं मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकारण अधिकारियों पर एनजीटी के नाम पर गरीवों का शोषण तथा निजी संस्थान को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा है। आरोप है कि अधिकारियों ने गरीवों के मकान अवैध मानकर तोड़ दिये तो वहीं कस्वा राधाकुण्ड मार्ग स्थित गिरिराज पर्वत की ओर एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उडा़ते हुए एक निजी संस्थान को शौचालय निर्माण के नाम पर संरक्षण दिया गया है।
जवकि गिरिराज परिक्रमा संरक्षण संस्थान के याचिका कर्ता आनन्द गोपाल दास की याचिका पर एनजीटी न्यायालय ने 11 अक्टूबर 2018 को सुनवाई के दौरान बृज तीर्थ विकास परिषद तथा मथुरा बृन्दावन विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को गोवर्धन गिरिराज पर्वत क्षेत्र में अवैध निर्माण तथा प्रदूषण आदि मामलों को लेकर फटकार लगाई थी। उस समय ब्रज तीर्थ विकास परिषद की और से दाखिल प्रार्थना पत्र जो की सम्पूर्ण परिक्रमा मार्ग में दीवार बनाने के लिये कोर्ट से अनुमती मांग रहे थे पर कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुऐ अपनी नाराजगी जाहिर की और कहा की चाहे सरकार हो या कोई आम आदमी किसी भी तरह के कंस्ट्रक्शन को परिक्रमा मार्ग में अनुमति नहीं दी जायेगी, कोर्ट ने सरकार की तरफ से अधिवक्ता व वन विभाग के अधिकारियों को हिदायत देते हुए यह भी साफ कहा था कि अनर्गल कार्य कर गिरिराज पर्वत को सौन्दर्यकरण करने की कोशिश ना करें।
न्यायालय ने कहा था कि जो जरूरी कार्य हैं पहले उनको संपूर्ण किया जाये जरूरी कार्यों के लिये ही वन विभाग या कोर्ट से मंजूरी मांगी जाये। लेकिन बृज तीर्थ विकास परिषद के अधिकारी एनजीटी के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उडा़ रहे है। एनजीटी के नाम पर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने परिक्रमा मार्ग किनारे बने सैंकड़ों मकान, दुकान, मंदिर, मजार आदि को अवैध मानते हुए ध्वस्त करा दिया। वहीं विकास प्राधिकरण एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने राधाकुण्ड मार्ग स्थित परिक्रमा किनारे पर्वत की ओर जनसुविधा केन्द्र शौचालयों का निर्माण एक निजी संस्थान को संरक्षण देकर अवैध अतिक्रमण करा दिया, जहां जनसुविधा की आड़ में दुकान भी संचालित है।
स्थानीय निवासी भोला दुवे ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर गरीव मजदूर बर्ग के लोगों के मकान प्रशासन ने अवैध मानकर तोड़ दिये वहीं दूसरी ओर प्रशासन के अधिकारियों ने निजी संस्थान को संरक्षण देकर गिरिराज पर्वत की ओर शौचालय के नाम पर अवैध निर्माण करा दिया। जिसमेें कई कमरों का पक्का निर्माण तथा एक दुकान भी संचालित है। एनजीटी के आदेशों की आड़ में प्रशासन गरीवों पर कार्यवाही कर रहा है वहीं प्रशासन ने निजी संस्थान के निर्माण का शिलान्यास किया है तो उस पर कार्यवाही कौन करेगा ? यह तो भविष्य के गर्व में छिपा है। दरअसल जिस जमीन पर निजी संस्थान कब्जा किये बैठी है आखिर वह जमीन किस विभाग की है इस पर कुछ भी बताने से प्रशासन बच रहा है।