बलात्कारियों के ताबुत में ठुंकी अन्तिम कील

नई दिल्ली। जनता जब अपनी पर उतर आए तो शासन प्रशासन ही नहीं अंधा कानून भी उजाले की किरण वाले फैसले से देश की युवा पीढ़ी के सुनहरे भविष्य की इबारत लिखने से पीछे नहीं रह सकता। कुछ ऐसा ही वीरवार को दिखा जब यह साफ हो गया कि 20 मार्च की सुबह पौ फटने से पहले ही चारों बलात्कारियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन कुमार गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को तब तक फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा जब तक उनके प्राण पखेरू उड़ नहीं जाते। बताते चलें कि निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए न केवल दिल्ली में लोगों ने सड़कों पर उतरकर चक्का जाम कर दिया था बल्कि पूरे देश में जगह जगह कैंडल मार्च और दोषियों को फांसी की मांग को लेकर जबर्दस्त प्रदर्शन किए गए थे।

16 दिसंबर, 2012 को चलती बस में सामूहिक बलात्कार और बर्बरता का शिकार हुई थी निर्भया

बलात्कार और पाशविक तरीके से निर्भया को चार दरिन्दों ने इस बर्बरता से टार्चर किया कि जिन्दगी और मौत के बीच से झूलते हुए अंततः मासूम को दुनिया से अलविदा कहने को मजबूर होना पड़ गया। लम्बी कानूनी लड़ाई और तीन बार डेथ वारंट तक जारी हो जाने के बाद भी बच रहे बलात्कारी हैवान अब मृत्युदण्ड प्राप्त करेंगे। निर्भया के साथ 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार और उस पर बर्बरता से हमला किया गया था। निर्भया की 29 दिसंबर को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गयी थी, जहां उसे बेहतर चिकित्सा के लिए ले जाया गया था। निर्भया बलात्कार और हत्याकांड मामले में सभी दोषियों के पास कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद दिल्ली की अदालत ने सभी के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी किया है। इस नए डेथ वारंट के अनुसार, सभी दोषियों को 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे फांसी की सजा होगी।

निर्भया के दोषियों की बेशक तीन मार्च को फांसी की सजा पर तामील नहीं हो पाई, लेकिन दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा खारिज किए जाने के बाद से दोषियों के पास सभी कानून विकल्प खत्म हो गए हैं। पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा की अदालत ने दोषियों को गुरुवार तक अपना-अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। अभियोजन के वकील ने कहा कि अब दोषियों को नोटिस की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन वहीं, अदालत ने कहा कि नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का हिस्सा है और दूसरे पक्ष को सुने जाने को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

निर्भया की मां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और जजों को दिया धन्यवाद, फांसी देते देखने की जताई इच्छा

निर्भया की मां आशा देवी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और सुप्रीम व हाई कोर्ट के जजों को दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका खारिज करने के लिए धन्यवाद दिया। आरोपियों को फांसी दिए जाते समय देखने की इच्छा जताते हुए उन्होंने कहा कि अब उन्हें इंसाफ मिलने की उम्मीद पूरी होने वाली है। वहीं कोर्ट ने चारों दोषियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की जांच कराने और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को हस्तक्षेप करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की पीठ ने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसे सबसे पहले एनएचआरसी के समक्ष पेश किया जाना चाहिए था। पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता को एनएचआरसी जाने को कहा।

याचिकाकर्ता अधिवक्ता ए राजराजन ने दावा किया था कि चारों दोषियों-मुकेश कुमार सिंह (32), पवन कुमार गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को कारावास में अलग-थलग रखा गया है। इससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है याचिका में यह आरोप भी लगाया गया था कि चारों अभियुक्त जेल में शारीरिक शोषण का सामना कर रहे थे। याचिका में यह दावा भी किया गया था कि अधिकारियों ने मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी अपीलों को खारिज किए जाने के 30 दिन पूरे होने पर चारों दोषियों की मौत की सजा को कार्यान्वित करने के लिए प्रक्रिया नहीं शुरू की और कानून के विपरीत काम किया।