अमर भारती : उत्तर प्रदेश में जब से नकल रोकने के लिए सरकार ने अभियान चलाया है, उसके बाद से पांच लाख छात्रों ने परीक्षा से अपना नाम वापस ले लिया है। बता दें कि यह जानकारी खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी है। उनकी सरकार पिछले दो सालों में राज्य में इस अभियान को चलाने में काफी हद तक कामयाब भी रही है।
इसके आगे उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमें प्राचार्यों, शिक्षकों, अभिभावकों, विद्यार्थियों और शिक्षण संस्थानों ने इस अभियान को एक साथ मिलकर सफल बनाया है। परीक्षा में नकल रोकने के लिए सरकार ने जो सख्ती की, उसके बाद करीब पांच लाख छात्र-छात्राओं ने परीक्षा ही छोड़ दी। जांच के दौरान पाया गया कि इन परीक्षार्थियों का लक्ष्य सिर्फ गलत तरीके अपना कर दाखिला पाना था। हमने जब जांच कराई तो पता चला कि वे दूसरे राज्यों के थे।
योगी आदित्यनाथ ने ये बातें डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एक सम्मान समारोह के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि शिक्षा का लक्ष्य सिर्फ डिग्री पाना ही नहीं होना चाहिए, बल्कि अभ्यर्थी का सर्वांगीण विकास होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ढाई साल पहले जब हम सत्ता में आए तो बोर्ड परीक्षाएं चल रही थीं। हालांकि इससे पहले राज्य में शिक्षा क्षेत्र की हालत काफी खराब थी।
उन्होंने आगे कहा कि पहले प्रदेश में तीन महीने तक परीक्षा चलती रहती थी। फिर इतने ही महीनों बाद परिणाम आता था। महापुरुषों के नाम पर छुट्टियां भी खूब होती थीं। हमने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश के सभी माध्यमिक स्कूलों में साइंस, मैथ्स और इंग्लिश के शिक्षको को भेजा था। अब 15 दिन परीक्षा होती है और समय पर परिणाम भी आ जाता है।