अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता.

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी भारतीय नागरिको को प्राप्त है. अनुच्छेद 19 (1) a प्रत्येक भारतीय को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, वह बोलकर, लिखकर, संकेतो आदि के माध्यम से अपना विचार रख सकता है. मीडिया को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है.  संचार माध्यम (मीडिया) के अन्तर्गत टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ आदि आते हैं.


अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देश और समाज में बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए है, जिससे अच्छाई बनी रहे. इसलिए हम सब भारतीयों को अपने इस अधिकार का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए.

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता.


हर भारतीय नागरिक, चाहे वह राजनेता, अभिनेता, खिलाड़ी, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि किसी भी क्षेत्र से क्यों न हो, को अपने विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार है. हम सबको देश में चल रही बुराई के खिलाफ अपनी आवाज जरुर उठानी चाहिए.


देश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, जिसके लिए अधिकतर राजनेता और ब्यूरोक्रेट्स जिम्मेदार हैं. देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होने के बावजूद भी, हर एक नागरिक अपने इस अधिकार(अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का उपयोग कर, बुराई के खिलाफ आवाज नहीं उठाता है. जिससे भ्रष्ट राजनेता सत्ता में बने रहते हैं. हैरानी तो उस वक़्त होती है, जब हम किसी के द्वारा सोशल मीडिया आदि के माध्यम से, सरकार आदि के भ्रष्टाचार और गलत नीतियों की निंदा की भेजी सच्ची वीडियो और पोस्ट को, अपने सोशल मीडिया अकाउंट में शेयर नहीं करते हैं.


हर व्यक्ति का व्यवहार अलग अलग होता है, हर कोई पूरी समझदारी और ईमानदारी से अपने इस अधिकार का प्रयोग नहीं करता है. कई तो अपने इस अधिकार का दुरुपयोग भी करते है, इसलिए अनुच्छेद 19(2) को लाया गया. इसके अनुसार अगर भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा हो, राज्य की सुरक्षा को खतरा हो, विदेशी राज्यों से मैत्रीपूर्ण संबंध बिगड़ने का खतरा हो, सार्वजनिक व्यवस्था के खराब होने का खतरा हो, शिष्टाचार या सदाचार के हित खराब हों, अदालत की अवमानना हो, किसी की मानहानि हो या अपराध को बढ़ावा मिलता हो तो ऐसे में किसी को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं होगी.


आजकल तो सोशल मीडिया का समय है, कब कौन सा वीडियो या मैसेज वायरल हो जाए, किसी को पता नहीं होता है. माना हम सब भारतीय नागरिको को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन किसी के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप करने का किसी को भी अधिकार नहीं है. आमतौर पर देखा गया है कि बहुत से लोग, किसी के निजी जीवन में वीडियो आदि बनाकर, सोशल मीडिया में पोस्ट करके, उसके भावनाओं को ठेस पहुचातें हैं, जो कि सरासर गलत है. अगर उन्हें वीडियो बनानी ही है तो देश और समाज में चल रही बुराइयों का साथ देने वाले भ्रष्टाचारियों और अपराधियों के खिलाफ बनानी चाहिए.


देश में बहुत ही कम नागरिक अपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग, देश और समाज के हित के लिए करते हैं. बहुत से व्यक्ति ऐसे होते है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग, तब ही करते है, जब उन पर बड़ी मुसीबत आन पड़ती है. हमे हमेशा अपने सगे संबंधियों, दोस्तों और समाज के लिए अपनी आवाज उठानी चाहिए. अगर हम दुसरो के लिए अपने अभिव्यति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग करेंगे, तो कहीं न कहीं हमे भी उन व्यक्तियों द्वारा समान सहयोग मिलेगा. जिससे हम सब बुराइयों के खिलाफ लड़ने में एक होंगे.