नई दिल्ली। बाघों की आबादी बढ़ाने और उन्हें विलुप्त होने से बचाने के उद्देश्य से हर साल 29 जुलाई को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। बाघ भारत के राष्ट्रीय पशु है जिसके बावजूद भारत में साल 2010 में बाघ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे। देश में जो बाघ एक समय पर विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके थे, आज उनकी संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है।
29 जुलाई ही क्यों?
विश्व बाघ दिवस पहली बार वर्ष 2010 में रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में मनाया गया था। 29 जुलाई, 2010 को रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में कई देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। देशों ने बाघों की संख्या में नाटकीय गिरावट और प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए आवश्यक कदमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का संकल्प लिया। इतना ही नहीं, बाघों की आबादी वाले विभिन्न देशों ने भी कसम खाई थी कि वे 2022 तक जानवरों की आबादी को दोगुना करने का प्रयास करेंगे। भारत भी उन्हीं देशों में से एक था।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2021 की थीम
2021 के अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस की थीम “उनका अस्तित्व हमारे हाथों में है” है। पिछले साल, उपन्यास कोरोनावायरस महामारी के कारण यह दिन ऑनलाइन मनाया गया था, लेकिन उत्साह की कोई कमी नहीं थी। दुनिया भर में लोगों ने इस दिन के महत्व को समझा और अपने-अपने तरीके से उत्सव में योगदान दिया। दिलचस्प बात यह है कि भारत में दुनिया की कुल बाघों की आबादी का लगभग 70% हिस्सा है और यह पहले ही अपनी संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर चुका है।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का महत्व
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के अनुसार विश्व में बाघ की वर्तमान आबादी 3,900 है। अगले वर्ष तक WWF बाघों की आबादी वाले देशों के साथ मिलकर उनकी संख्या को दोगुना करके 6,000 करने का लक्ष्य रखता है। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर लोगों को बाघों के संरक्षण के लिए जागरूक किया जाता है। इसी का परिणाम है कि साल 2010 में की गई गणना के मुताबिक बाघों की संख्या 1706 थी, वहीं साल 2020 की गणना के अनुसार देश में बाघों की संख्या बढ़कर 3900 हो गई है।
पीएम मोदी ने दी ट्वीट कर बधाई
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बधाई देते हुए पीएम मोदी ने लिखा कि भारत ने तय समय से 4 साल पहले बाघों की आबादी दोगुनी कर दी है। बता दें कि भारत 18 राज्यों में स्थित 51 टाइगर रिजर्व का घर है। 2018 की बाघ जनगणना में भारत के राष्ट्रीय पशु की आबादी में वृद्धि देखी गई।