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पीएम मोदी ने की योगी की तारीफ- Amar Bharti Media Group राष्ट्रीय

पीएम मोदी ने की योगी की तारीफ

  • इंसेफेलाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण पर योगी सरकार सफल 
  • सरकारी चिकित्सा प्रबंधों से चार साल में इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों में हुई 90 फीसद की कमी

लखनऊ। गोरखपुर के आसपास का क्षेत्र पूर्वांचल में आता है। चंद वर्ष पहले वहां हर साल दिमागी बुखार से हजारों बच्चों की मौत होती रही है। संसद में भी इसकी चर्चा होती रही है। एक बार इसकी चर्चा करते उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भावुक हो गये थे। लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके प्रयासों के  दिमागी बुखार के रोकथाम और इलाज के बेहतर प्रबंधन से आज बहुत आशा जनक नतीजे देखने को मिल रहे हैं। इंसेफेलाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बातें मंगलवार को स्वास्थ्य क्षेत्र में केंद्रीय बजट के प्रावधानों को प्रभावी तौर पर लागू करने को लेकर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कहीं।

हालांकि यह पहला मौक़ा नहीं जब गोरखपुर में इंसेफेलाइिटस पर प्रभावी नियंत्रण की सराहना की गई हो। हाल ही में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी राज्य विधान मंडल के अपने अभिभाषण में इस मुद्दे पर योगी सरकार की तारीफ कर चुकी हैं। उनके मुताबिक एक्यूट इंसेफेलाइिटस रोगियों की संख्या 2016 से 2020 के दौरान 3911 से घटकर 1624 पर आ गयी। इससे होने वाली मौतों की संख्या 641 से घटकर मात्र 79 रह गयी। वर्ष 2016 में जापानी इंसेफेलाइिटस और एक्यूट इंसेफेलाइिटस से क्रमश: 9 एवं 95 बच्चों की मौत हुई थी। 2020 में रोगियों और मृतकों की संख्या क्रमश: 95 और 9 रही। 

योगी के सीएम बनने के बाद बदले हालात

विभिन्न विभागों के सामूहिक प्रयास, स्वच्छता अभियान और प्राथमिक एवं सामूहिक स्वास्थ्य केंद्रों की बुनियादी संरचना को मजबूत करने के नतीजे से इंसेफेलाइिटस पर ऐसा हो सका। सरकार ने रोग के लिहाज से संवेदनशील जिलों के क्षेत्रों में पीडित बच्चों के प्रभावी इलाज के लिए 16 पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट, 15 मिनी पिकू और 177 इंसेफेलाइिटस उपचार केंद्र स्थापित किये। इस सबका नतीजा रहा कि आज इंसेफेलाइिटस समाप्त होने के कगार पर है।बतौर सांसद रहते हुए इंसेफेलाइिटस के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष करने वाले योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही हालात बदलने लगे। चार साल में काफी सुधार हुआ है। आंकड़े इसके सबूत हैं। 2017 की तुलना में वर्ष 2020 में इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों की संख्या में 90 फीसद की कमी आई है।