परिजनों से मिलने पहुंचे अखिलेश यादव, बोले- योगीराज में पुलिस ले रही जान
लखनऊ। कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता के गोरखपुर में हुई हत्या के मामले ने तूल पकड़ ली है। आरोप है कि पुलिस की मारपीट से मनीष की हत्या हुई है। मनीष के इस केस में दो बड़े मोड़ सामने आए हैं। पहला यह कि प्रशासन ने सुबह-सुबह मनीष का अंतिम संस्कार करवा दिया। प्रशासन का कहना है कि उन्होंने यह कदम मनीष के परिवार की सहमति से उठाया है। दूसरा यह कि एक दिन पहले ही गोरखपुर के DM और SSP का वीडियो सामने आया जहां वो मनीष की पत्नी पर केस दर्ज न करवाने के लिए दबाव बना रहे थे।
योगी आदित्यनाथ ने अपनाए सख्त तेवर
गोरखपुर की घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी ने दागी पुलिसकर्मियों की जांच करवाकर बर्खास्त करने के आदेश दिए हैं। टीम 9 की मीटिंग में उन्होंने यह फैसला लिया। कानपुर डीएम विशाख अय्यर के मुताबिक आज गुरुवार को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मनीष के परिजनों से मुलाकात कर सकते हैं।
मनीष के परिजनों से मिले अखिलेश यादव
इस मामले में आज पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज मनीष गुप्ता के परिजनों से मुलाकात की। अखिलेश ने उनके परिवार वालों को 20 लाख की मदद देने का ऐलान किया है। अखिलेश यादव इस दौरान योगी सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि पुलिस हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें यूपी में हो रही है। अखिलेश यादव ने इस मामले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में या सीबीआई से कराने की मांग की है। अखिलेश ने कहा कि पुलिस का काम सुरक्षा देने का है लेकिन उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में, पुलिस लोगों की सुरक्षा नहीं कर रही है। पुलिस लोगों की जान ले रही है।
पत्नी ने की SIT जांच की मांग
सुबह जब मनीष का शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था तो पत्नी मीनाक्षी बेसुध हो गईं। मीनाक्षी केस की जांच SIT से कराने की मांग कर रही हैं। वे मुख्यमंत्री योगी से मिलना चाहती हैं। आरोप है कि सोमवार की रात गोरखपुर के होटल में ठहरे मनीष को पुलिसकर्मियों ने पीटा था। इसके बाद उनकी मौत हो गई थी। मनीष की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी सामने आई है। इसमें मनीष की बॉडी पर चोट के निशान पाए गए हैं।
गोरखपुर पुलिस के उद्दंड काम
गोरखपुर के मनीष गुप्ता हत्याकांड में जो नए तथ्य प्रकाश में आए हैं, उसके अनुसार गोरखपुर में एक बड़ा होटल माफिया कार्यरत है, गोरखपुर में लगभग एक दर्जन ऐसे होटल हैं, जहां बड़े व्यापारी ठहरते हैं और तगादा आदि की वसूली में यदि किसी व्यापारी के पास 10 व 15 लाख की नगदी होती है तो होटल कर्मचारी संबंधित थाने को इसकी सूचना दे देते हैं, पुलिस वाले तलाशी के बहाने व्यापारी के कमरे में घुसते हैं और यह कहते हुए यह नंबर दो की रकम है, हिस्सेदारी व लूटपाट कर लेते हैं। इसमें होटल कर्मियों का भी कमीशन रहता है। मनीष गुप्ता के मामले में भी यही हुआ है। बदमाश की तलाशी के नाम पर केवल मनीष के कमरे में ही पुलिस वाले गए थे, किसी दूसरे कमरे की न तो उन्होंने तलाशी ली है और न ही वहां छानबीन की। इस तरह की अनेक घटना पहले भी हो चुकी हैं। मनीष ने पुलिस द्वारा पैसा छीनने का जब विरोध किया तो उन्हें पीटा गया है, बाद में इसे मात्र दुर्घटना साबित करने का प्रयास किया गया। पोस्टमार्टम में भी मनचाही रिपोर्ट बनवाने के लिए भी डॉक्टरों पर दबाव डाला गया। गोरखपुर पुलिस के 6 अधिकारियों और कॉन्स्टेबल पर आरोप है कि उन्होंने एक होटल में बेरहमी से मनीष गुप्ता की पिटाई की। इस वजह से उनकी मौत हो गई है।