युवा पीढ़ी के रोगियों को दी जाए प्राथमिकता : हाईकोर्ट

सरकार तैयार करे एक स्पष्ट नीति

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना की दूसरी लहर बहुत भयावह रही। हालांकि अब कोरोना के नए केसों में कमी आयी है। लेकिन अब कोरोना के साथ फंगल संक्रमण का खतरा लोगों के सिर पर मंडराने लगा। यही वजह है कि लोगों के बीच एक बार फिर भय पैदा ही गया है। बता दें कि जितनी तेजी से ब्लैक फंगस की बीमारी लोगों में फैल रही है, उतनी ही तेजी से देशभर में इसकी दवाई में कमी आती जा रही है। जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने ब्लैक फंगस से पीड़ित लोगों के उपचार में महत्वपूर्ण लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी दवा को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार से एक नीति बनाने को कहा है।

युवा देश का भविष्य

कोर्ट ने कहा कि युवा पीढ़ी के रोगियों को दवाई के मामलें में प्राथमिकता दें। कोर्ट का कहना है ऐसा नही है कि एक व्यक्ति का जीवन दूसरे व्यक्ति के जीवन से कम महत्वपूर्ण होता है। लेकिन ये युवा देश का भविष्य हैं ऐसे में दवा के वितरण में इन युवाओं को प्राथमिकता दी जाए।

देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण

न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा है कि, युवा पीढ़ी को प्राथमिकता के आधार पर दवा दी जानी चाहिए। यहां कोर्ट का कहना है कि बुजुर्ग लोग अपना जीवन जी चुके हैं जबकि युवाओं को अभी बहुत लंबा जीवन जीना है। ऐसे में वही देश की प्रगति के लिए काम करेंगे। इसलिए कोर्ट ने युवाओं को ही सबसे पहले दवा के लिए तेहरीज देने को कहा है।

सरकार बनाये स्पष्ट नीति

दिल्ली हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को कहा कि जब तक देश मे दवा का अभाव है तबतक सरकार दवाइयों के वितरण पर एक नीति बना लें। कोर्ट ने कहा की इसका निर्णय डॉक्टरों पर न छोड़े। सरकार खुद एक स्पष्ट नीति बनाए। एक उदाहरण देकर कोर्ट ने कहा कि, यदि 2 रोगी हैं, जिसमें से एक की उम्र 80 साल है और दूसरा 35 साल का युवा है, और दवा की एक ही खुराक बची है तो ऐसे में दवा किसे दी जाए। सरकार इसके लिए एक नीति तय कर ले।

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