RSS के ट्रेड यूनियन ने किया सरकार की मुद्रीकरण योजना का विरोध, वामपंथी समर्थित संस्थानों ने भी दी तीखी प्रतिक्रिया

भारतीय मज़दूर संघ और वामपंथी समर्थित सीटू के महासचिवों ने दिया बयान

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नई दिल्ली। देश में बीते मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र सरकार की भारतीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना का अनावरण किया। जिसके बाद हर जगह में केंद्र सरकार की तारीफ करने वाली ख़बरों ने खूूब जगह घेरी। दरअसल देश के रेल, सड़क और बिजली क्षेत्रों में छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय अवसंरचना संपत्ति का आगामी चार वर्षों में मुद्रीकरण किए जाने की इस योजना को कई जगहों से आलोचना का सामना करना पड़ा। आपको बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना की घोषणा करने के एक दिन बाद आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और भारतीय ट्रेड यूनियनों के वाम समर्थित ग्रुप की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ा।

आरएसएस ने भी किया विरोध

आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और भारतीय ट्रेड यूनियनों के वाम समर्थित ग्रुप भारतीय व्यापार संघों का केंद्र (सीटू) ने बीते बुधवार को केंद्र की 6 लाख करोड़ रुपये की इस योजना के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई। अलग-अलग विचारधारा वाले दो ट्रेड यूनियनों ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की योजना पर अपना विरोध व्यक्त करते हुए कहा कि यह देश और श्रमिकों के हितों के खिलाफ है।

दोनो विचारधारा से मिली आलोचना

बीएमएस के महासचिव बिनय कुमार सिन्हा ने इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “यह पारिवारिक आभूषण बेचने जैसा है।” आपको बता दे कि भारतीय मज़दूर संघ (बीएमएस) आरएसएस की ट्रेड यूनियन विंग है। जो सत्तारूढ़ भाजपा की वैचारिक मातृ संस्था है। इसी के साथ बीएमएस के अलावा दूसरी विचारधारा का समर्थन करने वाली सीटू संस्था के महासचिव तपन सेन ने कहा कि “सरकारी संपत्ति बेचने” का निर्णय एक “बहुत विनाशकारी निर्णय” है। सेन ने कहा, “यह एक मजदूर विरोधी फैसला है। उनके अधिकार और कमजोर होंगे… यह देश के पक्ष में नहीं है और सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ है।”

नीति आयोग चेयरमैन का बयान

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बीते मंगलवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि मुद्रीकरण योजना के तहत रेल, सड़क और बिजली क्षेत्रों में छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय अवसंरचना संपत्ति का मुद्रीकरण चार वर्षों में किया जाएगा। सीतारमण ने कहा है कि यह ब्राउनफील्ड परिसंपत्तियों से संबंधित है, जहां निवेश पहले से ही किया जा रहा है। यह संपत्तियां या तो खराब हो रही हैं या पूरी तरह से मुद्रीकृत न होने से इनका कम उपयोग किया गया है।

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