नई दिल्ली. राजस्थान में सियासी घमासान का दौर अब लगभग खत्म ही हो गया है। बगावी तेवर दिखाने वाले सचिन पायलट ने कांग्रेस में वापसी कर ली है।
घर वापसी के बाद सचिन पायलट ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, दिल्ली में आकर हमारे साथियों ने काम के कई मुद्दों को उठाया था, पार्टी ने हमारी बात सुनी।
अब क्या पद और जिम्मेदारी दी जाएगी, ये पार्टी पर निर्भर करता है। पार्टी ने सभी मुद्दों का हल निकालने की बात कही है।
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राहुल-प्रियंका से मुलाकात के बाद सचिन पायलट की घर वापसी
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गहलोत की ओर से की गई ‘निकम्मा’ टिप्पणी पर बोले- मैं आहत था
मुख्यमंत्री गहलोत की ओर से की गई ‘निकम्मा-नकारा’ वाली टिप्पणी को लेकर किए गए सवालों पर सचिन पायलट ने कहा, मैंने अपने परिवार से संस्कार हासिल किए हैं।
कितना भी मैं किसी का विरोध करुं किसी भी दल का नेता हो, मेरा कट्टर दुश्मन भी हो। मैंने कभी ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं किया।
अशोक गहलोत जी उम्र में मुझसे काफी बड़े हैं और व्यक्तिगत रूप से मैंने उनका सम्मान ही किया है। लेकिन राजनीति में बयान सोच समझकर देना चाहिए। शब्दों का सही चयन जरूरी है।
पायलट ने ये भी कहा कि, मुझे काम से जुड़े मुद्दों को उठाने का अधिकार है। वर्किंग में अगर मुझे कुछ दिखेगा तो मैं उसपर विरोध जाहिर करूंगा। लेकिन जिस तरह की टिप्पणी हुई हैं उसपर मैं कोई कॉमेंट नहीं करूंगा । बस इतना कहूंगा, जो आरोप लगाए गए उसका सच सामने आ चुका है। पायलट ने कहा, पहले दिन ही मैंने स्पष्ट कर दिया था कि मैं कांग्रेस में ही रहूंगा। हमने सभी के सहयोग से सरकार बनाई है। मुझे लगा कि सरकार और संगठन मिलकर काम करेगी।
पंजीकृत मामलों के लिए, MP राज्य सरकार ने मंत्रियों की एक समिति बनाई
सोमवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात को लेकर पायलट ने बताया, मेरे और कुछ विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों के बाद कांग्रेस द्वारा तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है। हमने जो मुद्दे उठाए वे महत्व के थे। राजनीति में द्वेष या व्यक्तिगत शत्रुता का कोई स्थान नहीं है। मीटिंग में प्रियंका और राहुल ने हमारी शिकायतों को धैर्यपूर्वक सुना और आश्वासन दिया कि उन्हें हल करने के लिए एक रोड मैप तैयार किया जाएगा।
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वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सुर भी बदले दिखे। मंगलवार को गहलोत ने कहा, पार्टी में शांति, भाईचारा, सद्भाव रहेगा। तीन लोगों की कमेटी बनी है, उनकी कोई शिकायतें होंगी तो वो उनको बता देंगे। 100 से ज़्यादा लोगों (विधायकों) का इतने समय तक एक साथ रहना इतिहास बन गया है, एक आदमी टूट कर नहीं गया।