नई दिल्ली। भारतीय सेना के हवलदार सोमन राणा ने 2006 में एक माइन में काम करते दौरान एक माइन विस्फोट में अपना दाहिना पैर खो दिया था, लेकिन अब उन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक के लिए एफ-57 श्रेणी में शॉट पुट के लिए क्वालीफाई कर लिया है। जहां एक तरफ शरीर के किसी अंग के नुकसान का मतलब ज्यादातर लोगों के लिए खेल यात्रा का अंत हो सकता है, वहीं राणा ने भारतीय सेना की भावना पर खरा उतरते हुए, अपने डर का मुकाबला किया और दृढ़ संकल्प के साथ अपना पैरा-एथलेटिक्स प्रशिक्षण जारी रखा। बता दें कि इस साल पैरालिंपिक 24 अगस्त से 5 सितंबर के बीच टोक्यो में आयोजित किए जाएंगे।
आर्मी स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड के निरीक्षण में पुणे में बॉम्बे इंजीनियर ग्रुप और सेंटर में स्थित आर्मी पैरालिंपिक नोड में प्रशिक्षित, राणा पहले से ही एक कुशल अंतरराष्ट्रीय पैरा-एथलीट हैं और अपनी श्रेणी में विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर हैं।
पहले भी कई मेडल कर चुके हैं हासिल
मेघालय के शिलांग में एक साधारण परिवार से आने वाले राणा को 2017 में आर्मी पैरालिंपिक नोड में शामिल किया गया था। यह नोड विशेष रूप से सक्षम सैनिकों को पैरा स्पोर्ट्स को आगे बढ़ाने और जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ), पुणे के माध्यम से सेना की ओर से जारी एक बयान मे उन्होंने बताया कि, “2017 में इस नोडे स्थापना के बाद से, नोड के पैरा-एथलीटों ने 28 अंतर्राष्ट्रीय पदक और 60 राष्ट्रीय पदक जीते हैं। उन्होंने एशियन पैरा गेम्स, वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स, वर्ल्ड पैरा चैंपियनशिप और विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स इवेंट्स में भारत के लिए प्रतिनिधित्व किया है और मेडल जीते हैं।
सभी पैरा-एथलीटों के लिए प्रेरणा का स्रोत
इस साल की शुरुआत में, कोविड से संबंधित सभी प्रतिबंधों के बावजूद, राणा ने ट्यूनिस विश्व पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में एक स्वर्ण पदक और 19वां राष्ट्रीय एथलेटिक्स पैरा चैम्पियनशिप में एक रजत पदक के साथ दो स्वर्ण पदक जीते। सोमन राणा ने हमारे देश को गौरवान्वित किया है और भारतीय सेना में सभी पैरा-एथलीटों के लिए एक प्रेरणा है। वह टोक्यो पैरालिंपिक में पदक जीतने की प्रबल संभावना है।