बेरोजगारी की समस्या को कैसे कम किया जाए.

भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होती जा रही है. भारत पूरी दुनिया में अपना लोहा मना रहा है. इसके नागरिक अपने कौशल से देश और विदेश में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं, बावजूद इसके बेरोजगारी ने देश के युवाओं की कमर तोड़ दी है. सरकार नई नई योजनायें लाकर बरोजगारी को दूर करने का पूरा प्रयास करती है.


सरकार अपनी योजनाओ को मीडिया आदि माध्यम से पूरे देश तक पहुंचाती है, जिससे अधिक से अधिक योजना के पात्र नागरिक लाभान्वित हो सके, योजना को पात्र नागरिक तक पहुचाने वाले अधिकतर जिम्मेदार अधिकारी द्वारा पूरे प्रयास से प्रोत्साहन न करना एक बड़ी समस्या है. देश में अधिकतर सरकारी अधिकारीयों को यह गलतफहमी हो चुकी है कि वे सरकार की योजनाओ आदि को अपने निजी सहयोग से आम नागरिक को दें रहें हैं. उनका व्यवहार आम नागरिको के साथ इतना बुरा होता है कि अधिकतर नागरिक उनसे खुलकर योजना आदि की जानकारी लेने से घबराते हैं.

बेरोजगारी की समस्या को कैसे कम किया जाए.


सरकार की योजनाओ का लाभ नागरिको को जरुर होता है, अगर योजनाएं न बनाई जाए, तो समस्या बद से बदतर हो जाएगी. सरकार को अपने अधिकारीयों की समय समय पर ब्रीफिंग करनी चाहिए. तभी योजना के पात्र नागरिको को योजना का असल लाभ मिल पायेगा, जिससे बेरोजगारी में लगाम लगाने में आसानी होगी. हमारे देश की सबसे बड़ी कमी और समस्या, यह है कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा किये जाने वाले भ्रष्टाचार के लिए उनको निलंबित तो कर दिया जाता है, मगर उन्हें बर्खास्त न के बराबर ही किया जाता है.


दूसरी तरफ निजी क्षेत्र में कार्य करने वाले नागरिको का बुरा हाल है वे अपने अधिकारों के लिए सही से आवाज तक नहीं उठा पातें है, उन्हें कब छोटी सी गलती या अपने कार्यक्षेत्र से बाहर का कार्य करने से मना करने पर, नौकरी से निकाल दिया जाए, इसका डर उन्हें बना रहता है. निजी क्षेत्र में सीधे कर्मचारी और अधिकारियों का हिसाब कर दिया जाता है, जिससे उनका दूसरी नौकरी मिलने तक बेरोजगार होने का डर बना रहता है. आपको इस तरह के बहुत से बेरोजगार अपने आसपास देखने को मिल जायेंगे. आप ही सोचे कि दूसरी नौकरी मिल जाने पर, क्या वे देशहित और कानून के अनुसार अपना कार्य पूरी ईमानदारी से कर पायेंगे. अधिकतर निजी क्षेत्र के कर्मचारी और अधिकारी देशहित से अधिक कंपनी के मालिक के हित में ज्यादा कार्य करते हैं.


निजी क्षेत्र में जो व्यक्ति देशहित और कानून के अनुसार काम नहीं करता है, उसे या तो किसी निजी संस्थान में कम वेतन में कार्य करने के लिए मजबूर होना पड़ता है या फिर बेरोजगार रहना पड़ता है. सरकार को इस क्षेत्र में ठोस कदम उठाने की जरुरत है. जिससे बेरोजगारी से लड़ने में बड़ी मदद मिलेगी, क्यूंकि हर किसी नागरिक को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती है, अधिकतर लोग निजी क्षेत्र में कार्यरत है.


बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण हमारी शिक्षा प्रणाली में से कौशल शिक्षा का गायब होना. देश के युवा शिक्षा की बड़ी से बड़ी डिग्री तो ले लेते है, मगर उसमे कौशल शिक्षा सम्मिलित न होने के कारण, रोजगार के लिए दर दर भटकते हैं, या फिर कौशल शिक्षा के लिए किसी बड़े संस्थान में प्रवेश कर अलग से उसमे खर्चा कर, रोजगार के अवसर ढूंढते है. इसके लिए उन्हें बहुत खर्च करना पड़ता है. हर कोई अपनी शिक्षा हासिल करने के बाद, अलग से कौशल शिक्षा में खर्च करने के लिए धन नही जुटा पाता है, जिससे उसे बेरोजगार रहना पड़ता है या फिर बहुत ही कम वेतन में कार्य करना पड़ता है.


ऐसा नहीं है कि सरकार देश के युवा को कौशल शिक्षा देने के लिए कुछ नहीं कर रही है, सरकार युवाओं के लिए प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना(पीएमकेवीवाई) जैसी योजना लाकर देश के युवा में कौशल का विकास कर, रोजगार देने में पूरी मदद करना चाहती है. लेकिन जनसंख्या और अधिकतर सरकारी अधिकारीयों के लापरवाही, भ्रष्टाचार के कारण देश के सभी युवाओं को इस योजना का लाभ नही मिल सकता है. इसलिए हमारे स्कूलों में कौशल शिक्षा को शामिल करना बहुत ही जरुरी है, तभी बेरोजगारी में लगाम लग पायेगा.


कहीं न कहीं अधिकतर नागरिक भी बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार है, जो सरकार की सब्सिडी और स्टार्ट-अप आदि की मदद से अपनी कंपनी आदि खोलते है और अपने कर्मचारियों को वेतन में कटौती करने के साथ साथ, एक छोटी सी गलती में नौकरी से निकाल देते है. इससे भी बेरोजगारी बढती है.


सरकारों ने संविदा नौकरी लाकर, नागरिको के साथ बहुत बड़ा मजाक किया है, संविदा नौकरी का कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने के बाद, उस कॉन्ट्रैक्ट का किसी और कर्मचारी को मिल जाने से, पहले वाले संविदा कर्मचारी के बेरोजगार होने का खतरा बना रहता है. सरकार ने गंभीरता से बेरोजगारी के सारे कारणों का हल करना होगा, नही तो बेरोजगारी के कारण अपराध, गरीबी आदि पनपते रहेंगे.