नई दिल्ली। अफगानिस्तान में इस समय डर और दहशत का माहौल है। राष्ट्रपति अशरफ ग़नी के काबुल छोड़ने के बाद तालिबान लड़ाके काबुल में घुस आए और समूचे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया ।आतंकी संगठन के आगे सरकार इतनी जल्दी घुटने टेक देने के बाद से ही तालिबान ने रविवार को राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है। स्थानीय लोगों तालिबान के कट्टर शासन से डरे हुए हैं। लोग काबुल छोड़ कर जाना चाहते हैं। जिस वजह से एयरपोर्ट पर भीड़ देखने को मिली।
सोशल मीडिया पर पोस्ट कर की जीत की घोषणा
तालिबान द्वारा काबुल घेरने के बाद रविवार को अशरफ गनी ने अफगानिस्तान छोड़ दिया। तालिबान ने देशव्यापी कब्जा कर लिया। सिर्फ दस दिनों में सभी शहर तालिबान के हिस्से में आ गए। सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट के जरिये तालिबान के सह संस्थापक अब्दुल गनी बरादर ने जीत की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘अब यह समय टेस्ट और खुद को साबित करने का है। हमें यह दिखाना होगा कि हम देश सेवा, सुरक्षा और जीवन की सुविधा सुनिश्चित कर सकते हैं।’
काबुल एयरपोर्ट पर फायरिंग
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद काबुल एयरपोर्ट पर हजारों लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है। कई देशों के राजनयिकों को भी वहां से बचाकर ले जाया जा रहा है। तालिबान के कब्जे के बाद काबुल एयरपोर्ट पर भगदड़ मच गई जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए अमेरिकी फौज ने हवा में गोलियां दागीं। हालांकि अभी तक इस दौरान किसी की जान जाने की कोई खबर सामने नहीं आई है। सोशल मीडिया पर एयरपोर्ट से जुड़ी भगदड़ की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं।
अफगानिस्तान में अमेरिका की हार!
अमेरिका भी अब तालिबान से मुकाबले की बजाय अपने और दुनिया भर के नागरिकों को निकालने पर ही फोकस कर रहा है। काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास से उसका झंडा हट चुका है और सभी कर्मचारी देश छोड़ने के लिए काबुल एयरपोर्ट पर मौजूद हैं। इस बीच अमेरिका ने 1,000 और सैनिकों को काबुल भेजने का फैसला लिया है।इससे पहले 5,000 सैनिकों को भेजा गया था। इस तरह से कुल 6,0000 सैनिक काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा करेंगे। अमेरिकी दूतवास का झंडा हटना और उसके समर्थन वाली सरकार की लीडरशिप करने वाले राष्ट्रपति अशरफ गनी का यूं देश छोड़कर भागना जो बाइडेन पर भी कई सवाल खड़े कर रहा है। इसे अफगानिस्तान में अमेरिका की हार के तौर पर देखा जा रहा है।