
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPMRC) ने पर्यावरण संरक्षण और सतत शहरी विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर मजबूती से दोहराया है। 5 सितंबर 2017 को स्थापित UPMRC ने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, कार्बन उत्सर्जन में कमी और हरित क्षेत्र के विस्तार की दिशा में निरंतर प्रयास किए हैं। अब तक मेट्रो से 12 करोड़ से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं, जिससे शहरों की सड़कों पर ट्रैफिक कम हुआ है और पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ा है।

UPMRC ने अपने मेट्रो कॉरिडोर के आसपास 1.1 लाख वर्ग मीटर से अधिक हरित क्षेत्र विकसित कर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई है। लखनऊ में पॉलीटेक्निक चौराहा, मेट्रो डिपो, मेट्रो अफसर कॉलोनी और के.डी. सिंह स्टेडियम जैसे क्षेत्रों में 65,000 वर्ग मीटर हरियाली सृजित की गई है। कानपुर में 35,000 वर्ग मीटर और आगरा में 1,200 वर्ग मीटर हरित क्षेत्र तैयार किया गया है।
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी UPMRC अग्रणी रहा है। लखनऊ और कानपुर में कुल 4.412 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्र लगाए गए हैं। लखनऊ में ट्रांसपोर्ट नगर डिपो पर 2.28 मेगावाट, पांच मेट्रो स्टेशनों पर 1 मेगावाट और अन्य भवनों में 10 से 12 किलोवाट के संयंत्र स्थापित किए गए हैं। इन संयंत्रों ने पिछले पांच वर्षों में 60 लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन किया है। कानपुर मेट्रो डिपो में 1 मेगावाट का संयंत्र भी सक्रिय है।

जल संरक्षण में UPMRC ने मिसाल कायम की है। लखनऊ, कानपुर और आगरा में सालाना करीब 35 लाख लीटर वर्षा जल संरक्षित किया जा रहा है। मेट्रो ट्रेनों की धुलाई के लिए पुनर्नवीनीकृत जल का उपयोग होता है, जिसे उद्यानों की सिंचाई में भी प्रयोग किया जाता है। मेट्रो डिपो में शून्य डिस्चार्ज संयंत्र लगाए गए हैं, जिससे प्रदूषक अपशिष्ट बाहर नहीं निकलता। जैविक कचरे के निस्तारण के लिए खाद निर्माण यूनिट भी स्थापित की गई हैं।
ऊर्जा दक्षता के लिए रिजनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक को अपनाया गया है, जिससे ट्रेनों और लिफ्टों के ब्रेक लगने पर ऊर्जा पुनः प्रयोग में लाई जाती है। यह तकनीक लखनऊ मेट्रो में 40% और कानपुर तथा आगरा में लगभग 45% ऊर्जा दक्षता प्रदान करती है।
UPMRC उत्तर प्रदेश का पहला संगठन है जिसने ‘ओपन एक्सेस मॉडल’ के तहत इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) से बिजली खरीदना शुरू किया है। इससे पिछले 18 महीनों में ₹3.5 करोड़ की बचत हुई है और कुछ महीनों में ही ₹45 लाख की बचत दर्ज की गई है।

प्रबंध निदेशक सुशील कुमार के नेतृत्व में UPMRC पर्यावरण संरक्षण के कई प्रभावी उपायों को सफलतापूर्वक लागू कर रहा है। आम नागरिकों के बीच मेट्रो की लोकप्रियता बढ़ने से सड़कों पर भीड़ और प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आई है। UPMRC न केवल यातायात का आधुनिक विकल्प बन चुका है, बल्कि पर्यावरण मित्र सार्वजनिक परिवहन की मिसाल भी बन रहा है।