नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिसका असर अब गंगा किनारे के घाटों पर देखने को मिलने लगा है। पूरा देश कोरोना महामारी की चपेट में है। मरने वालों की संख्या को देखते हुए लोग लाशों के अंतिम संस्कार करने में भी सक्षम नहीं हो पा रहे हैं। तमाम जिलों में नदियों में लाशें तैरती हुई देखी गई हैं। पूर्वांचल और बिहार में गंगा नदी में संदिग्ध कोविड रोगियों के तैरते शवों के बाद अब उन्नाव से भयानक दृश्य सामने आया है। यहां गंगा नदी के किनारे दो घाटों बक्सर और रौतापुर पर कई शव रेत में ही दफन कर दिए गए हैं। अब तो हालत ये है कि कई शव मिट्टी से बाहर दिखने लगे हैं और इस वजह से आवारा जानवर और कुत्ते वहां मंडराने लगे हैं। घटनास्थल की वीडियो वायरल होने पर अधिकारी की टीम वहां गंगा किनारे पहुंची। इसके बाद शवों को कवर किए हुए भगवा रंग के कपड़े को उन पर से हटाया गया और शवों को वहीं पर और ज्यादा गहरे गड्ढे में दफनाया गया।
पैसे ना होने के कारण शवों को दफनाकर किया जा रहा है अंतिम संस्कार
गंगा के किनारे बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। पैसे न होने के कारण लोग, शवों का जलाने के बजाय दफनाकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं। गंगा के किनारे के घाटों का आलम ये है कि अब शव दफन करने की जगह घाटों पर जगह नहीं बची है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले एक माह में तीन सौ से ज्यादा शव यहां अंतिम संस्कार के लिए आए हैं। आये हुए शवों में से अधिकतर को गड्ढा खोदकर दफन कर दिया जाता है। इस कारण घाट के किनारे अब शव दफनाने के लिए जगह नहीं बची है।
बलिया में सात और शव मिले
उधर, मंगलवार रात बलिया में गंगा नदी के तटवर्ती इलाके से सात और शव मिले हैं। इसके साथ ही नदी से निकाले गए शवों की कुल संख्या 52 हो गई है। एक अधिकारी ने बताया कि नदी में मिल रहे शवों के कोविड संक्रमित होने की आशंका के मद्देनजर तटवर्ती इलाकों में संक्रामक रोग के प्रसार को रोकने के लिए प्रशासन की तरफ से शवों का तत्काल अंतिम संस्कार करा दिया गया है।