अमर भारती : सम-विषम लागू करने के फैसले में एनजीटी ने भी दिल्ली सरकार का साथ दिया है और इसके खिलाफ एनजीटी पहुंची एक याचिका को सुनने से ट्रिब्यूनल ने इनकार कर दिया है। यही वजह है कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली है। इसके बाद माना जा रहा है कि दिल्ली सरकार की इस योजना में अब किसी भी रुकावट का सामना नहीं करना पड़ेगा।
दरअसल दिल्ली में 4 से 15 नवंबर के बीच सम-विषम योजना लागू करने के दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में 16 सितंबर को याचिका दायर की गई थी। यह याचिका वकील गौरव कुमार बंसल ने दाखिल की थी। दिल्ली सरकार ने 13 सितंबर देश की राजधानी में फिर से सम-विषम योजना को लागू करने की घोषणा की थी।
इस याचिका के अनुसार बंसल ने कहा है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर सम-विषम योजना के प्रभाव का आकलन किया और पाया कि इसके क्रियान्वयन अवधि में शहर की वायु गुणवत्ता इसके लागू नहीं रहने की अवधि की तुलना में और खराब हो गई।
उन्होंने कहा कि जब सीपीसीबी एवं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) जैसे देश के शीर्ष पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने एक सुर में कहा है कि सम-विषम योजना 2016 में वायु प्रदूषण की समस्या कम करने में असफल रही थी तो ऐसे में अन्य देशों के लोगों द्वारा किए गए महज एक अध्ययन के आधार पर सम-विषय योजना को लागू करना ना सिर्फ गलत है बल्कि यह सीपीसीबी और डीपीसीसी जैसी संस्थाओं की साख भी गिराएगा।