केंद्र सरकार की पेगासस पर सफाई, कहा- ‘अदालत से छुपाने के लिए कुछ नहीं’

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का बयान

नई दिल्ली। देश में जासूसी कर 300 से अधिक लोगों की निजता पर हमला करने वाले पेगासस स्पाईवेयर जासूसी मामले में सड़क से संसद तक हंगामा होने के बाद मामला सु्प्रीम कोर्ट चला गया है। इस जासूसी में विपक्ष सरकार पर जासूसी के आरोप लगा रहा हैं। क्योंकि पेगासस बनाने वाली कंपनी एनएसओ समूह सिर्फ सरकारों को यह बनाया हुआ सॉफ्टवेयर बेचता है। शायद यही वजह है कि सरकार इस मामले में कठघरे में खड़ी है। पेगासस मामले में जांच की मांग कर रही याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में अब केंद्र सरकार का नया बयान सामने आया है। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस भी जारी किया है और कहा है कि सरकार को उन आरोपों का जवाब देना चाहिए जिनमें कहा गया है कि इजरायली स्पाईवेयर का इस्तेमाल अलग-अलग फोन पर किया गया था।

केंद्र सरकार का बयान

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया और पेगासस मामले में तथ्यों को सार्वजनिक करने के खिलाफ तर्क पेश किए।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा, ‘सभी याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट की जांच की बात पूछी जाती है। कल उन्होंने पूछा था कि वे चाहते हैं कि सरकार जवाब दे कि क्या पेगासस का इस्तेमाल किया गया था। यह सॉफ्टवेयर सभी देशों ने खरीदा है, लेकिन कौन सा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया गया था या नहीं, यह राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से किसी भी देश के द्वारा नहीं बताया जाता है।’ इसी के साथ तुषार मेहता ने सरकार की तरफ से कहा कि ‘हमारे पास में अदालत से छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। हम अदालत द्वारा गठित समिति के सामने सब कुछ रखेंगे, लेकिन इसे हलफनामे के माध्यम से सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट जारी करेगा जांच समिति

इस मामले की जांच की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया सामने आने के बाद ही जांच की समिति बनाने पर फैसला करेगा। आपको बता दे कि, इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पेगासस मामले में जांच समिति बनाने पर फैसला ले चुकी हैं। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन भीमराव और हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य शामिल हैं।

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