कॉरपोरेट एफडी बैंक एफडी से कैसे है अलग

कॉरपोरेट एफडी क्या होती है

कॉरपोरेट एफडी बैंक एफडी से ज्यादा अलग नहीं होती है. बैंकों की तरफ से लोगों के पैसे फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट में जमा किए जाते हैं.  इस पैसे पर बैंक ब्याज भी देते हैं. कंपनियों भी अपनी तरफ से एफडी की व्यवस्था करती है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि कंपनियों की तरफ से दिया जाने वाला ब्याज कुछ अधिक होता है. इसमें भी बैंक एफडी की तरह ही फिक्स रिटर्न मिलता है.

बैंक एफडी से नहीं है ज्यादा अलग

कॉरपोरेट एफडी का मेच्योरिटी पीरियड 1 से 5 साल के बीच होता है. आप को जो ठीक लगे आप वह अवधि चुन सकते हैं. यह ध्यान रखें कि अलग-अलग समय के लिए इसकी ब्याज दर अलग-अलग हो सकती है. बैंकों की तरह ही कॉरपोरेट एफडी में भी वरिष्ठ नागरिकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर कुछ अतिरिक्त ब्याज दिया जाता है.

बैंकों की तरह ही कॉरपोरेट एफडी को भी मेच्योरिटी से पहले तोड़ने पर कुछ पेनाल्टी देनी होती है. अलग-अलग कॉरपोरेट एफडी के लिए यह पेनल्टी भी अलग-अलग होती है.

रिस्क

कॉरपोरेट एफडी में पैसा डूबने का रिस्क होता है. यह डर इसमें होता है कि अगर कंपनी डूबी तो लोगों का पैसे भी डूब जाएंगे.

यही वजह है कि कॉरपोरेट एफडी में जब भी निवेश करना हो तो बहुत सोच समझ कर करनी चाहिए. वैसै क्रिसिल की ओर से एएए रेटेड कॉरपोरेट एफडी में निवेश आमतौर पर सुरक्षित रहता है.