निलंबित राज्यसभा सांसद केके रागेश ने उपसभापति हरिवंश को लिखी खुली चिट्ठी

सीपीआई (एम) के सांसद केके रागेश ने अपनी चिट्ठी में उपसभापति को उनकी चाय की कूटनीति पर बधाई दी लेकिन कहा कि ‘ऐसी नौटंकी से लोगों को बार-बार धोखा नहीं दिया जा सकता.’

नई दिल्ली: राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह (Rajyasabha Dy Chairman Harivansh) पर तीखा हमला करते हुए राज्यसभा सांसद केके रागेश (Rajyasabha MP KK Ragesh) ने उनके नाम एक खुली चिट्ठी लिखी है.

केके रागेश उन आठ सांसदों में से एक हैं, जिन्हें किसान विधेयक पर सदन में मचे बवाल के बाद निलंबित कर दिया गया था. सीपीआई (एम) के सांसद केके रागेश ने अपनी चिट्ठी में उपसभापति को उनकी चाय डिप्लोमेसी पर बधाई दी लेकिन कहा कि ‘ऐसी नौटंकी से लोगों को बार-बार धोखा नहीं दिया जा सकता.’ और यह भी कहा कि ‘राजनीतिक बराबरी को आत्मसात’ करने को लेकर उनका रुख ‘दोहरा

केके रागेश ने अपनी चिट्ठी में सवाल उठाया है कि क्या उन्होंने प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए सदन के नियमों और विपक्षी पार्टियों की आवाज को नज़रअंदाज किया था? उन्होंने लिखा है, ‘यह हैरानजनक है कि आप जैसा व्यक्ति, जो एक समाजवादी होने का दावा करता है, राजनीतिक समानता अपनाने के प्रति असली घटनाओं को नज़रअंदाज़ करने का ऐसा दोहरा रुख दिखा सकता है.’

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बता दें कि उपसभापति तब विपक्षी सांसदों के निशाने पर आ गए थे, जब सोमवार को उन्होंने किसान विधेयकों को संसदीय समिति को भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव पर वोटिंग कराने से इनकार कर दिया था. सदन में हुए हंगामे में चोटिल हुए केके रागेश ने उनके इस कदम को ‘अलोकतांत्रिक’ बताया था. उन्होंने कहा था कि अगर सदन का एक सदस्य भी वोटिंग के लिए प्रस्ताव आगे बढ़ाता है तो उस पर वोटिंग होनी चाहिए.

23 सिंतबर को भेजी गई इस चिट्ठी में केके रागेश ने उपसभापति के उस मुलाकात के बाद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को चिट्ठी लिखे जाने पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने बताया है कि धरने पर बैठे सांसदों से मुलाकात करने पहुंचे उपसभापति ने उन सांसदों को अपना ‘कॉलीग’ बताया था, लेकिन इसके बाद ही उन्होंने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को चिट्ठी भेजकर ‘सदन में विपक्ष के हमलों से दुखी होकर एक दिन के उपवास पर जाने की’ घोषणा की थी. उपसभापति ने यह भी कहा था कि सदन में सांसदों ने उनपर हमला किया और उन्हें अपशब्द कहे थे.

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केके रागेश ने सवाल उठाया कि क्या उपसभापति ने ‘ट्रेज़री बेंच से प्रभावित होकर’ विपक्ष को नज़रअंदाज किया? उन्होंने यह भी कहा कि ‘क्या सांसद चुपचाप सदन की उस कार्यवाही को देखते रहते?’ सांसद ने चिट्ठी में पूछा है कि ‘क्या विपक्ष के इतने जबरदस्त विरोध के बीच, नियमों को ताक पर रखते हुए इन विधेयकों को पास करने का आपका फैसला प्रधानमंत्री को खुश करने और उनकी गुड बुक्स में शामिल होने के लिए लिया गया था?’