आठ साल से चल रही योजना, फिर भी नहीं बन सके पंचायत घर


रामनगर। पंचायती राज और ग्राम्य विकास विभाग की संयुक्त योजना के तहत आठ साल से पंचायत भवन निर्माण की प्रक्रिया चल रही है, मगर ब्लॉक रामनगर की पांच ग्राम पंचायतों में आज तक पंचायत घर नहीं बन सके। यह सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल योजना है, जिसका लाभ ग्रामीणों को अब तक नहीं मिल पाया है।

लगभग 14 से 18 लाख रुपये की लागत से प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत भवन बनाए जाने थे। ब्लॉक के अधिकतर गांवों में भवन बन चुके हैं, लेकिन सिलौटा, घौखरिया, कटियारा निजामपुर, लहडरा और बिंदौरा परसपुर जैसे गांव अब भी पंचायत घर से वंचित हैं। कहीं सामुदायिक भवन, कहीं स्कूल तो कहीं प्रधान के घर से पंचायत का संचालन हो रहा है।

सिलौटा गांव में पंचायत घर के लिए प्रधान बीते चार वर्षों से लगातार आवाज उठा रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी सुनवाई को तैयार नहीं। लहडरा में पंचायत का काम बारात घर से चल रहा है, जबकि घौखरिया और कटियारा में स्कूल से पंचायत की बैठकें हो रही हैं। वहीं, किन्हौली गांव में प्रधान द्वारा जिले स्तर पर पैरवी और ‘सुविधा शुल्क’ देने के बाद भवन की मंजूरी मिल गई, और निर्माण कार्य शुरू हो चुका है।

थाल कला और बिठौरा में भवन बने जरूर हैं, मगर उनमें गतिविधियां संचालित नहीं हो रहीं। रामपुर खरगी का भवन अधूरा पड़ा है। एडीओ पंचायत अभय शुक्ला का कहना है कि “कहीं जमीन की समस्या है तो कहीं सचिवों की उदासीनता के कारण निर्माण नहीं हो पाया। जल्द ही समीक्षा की जाएगी।”

कुल मिलाकर विभागीय लापरवाही और जवाबदेही के अभाव में सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना ठप पड़ी है, जबकि ग्रामीण पंचायत घर की सुविधाओं से वंचित हैं।