रामनगर में दिनभर खेली जाती है होली

रामनगर। कस्बा रामनगर में होली के दिन सुबह से शाम तक रंगों की धूम रहती है। फगुहारों की टोलियाँ घर-घर जाकर फगुआ गीत गाती हैं और अंत में शाम को अमर सदन, रामनगर पहुँचती हैं, जिसके बाद रंग खेलने की परंपरा समाप्त होती है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।

रामनगर कभी धमेडी स्टेट था, जहाँ राजा की कोठी आज भी मौजूद है। कहा जाता है कि यह परंपरा यहीं के राजघराने से शुरू हुई थी और आज तक अनवरत चली आ रही है। दिनभर रंगों में सराबोर रहने की परंपरा अमीर-गरीब के भेद को मिटाने का प्रतीक मानी जाती है। यहाँ तक कि जिनके पास नए कपड़े नहीं होते, वे भी पूरे उत्साह के साथ होली मनाते हैं।

रामनगर के आसपास के गाँवों में दोपहर तक होली खेली जाती है, लेकिन रामनगर में यह सिलसिला शाम तक चलता है। यहाँ तक कि यदि कोई भूल से नए कपड़े पहनकर रामनगर आ जाए, तो बिना रंगे नहीं लौटता। इस परंपरा को बंद कराने के प्रयास कई बार हुए, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसे बनाए रखा।

आज भी, सुबह होते ही बच्चे गलियों और सड़कों पर निकलकर रंग खेलना शुरू कर देते हैं और फाग यात्रा निकलने के बाद ही नहाते हैं। जब राजा स्व. अमर कृष्ण नारायण सिंह की हवेली पर फाग यात्रा पहुँचती है, तब रंग पूरी तरह से बंद हो जाता है।

स्थानीय प्रशासन ने अपील की है कि जिन्हें रंग से परहेज है, उन पर जबरदस्ती रंग न डाला जाए। साथ ही, जिन्हें रंग पसंद नहीं है, वे अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें। प्रशासन ने शांति और हंसी-खुशी के माहौल में त्योहार मनाने की अपील करते हुए स्पष्ट किया है कि शराब पीकर हुड़दंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।