Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-statistics domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the updraftplus domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/ekumjjfz/amarbharti.com/wp-includes/functions.php on line 6114
कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़े किसान, दिया ये अल्टीमेटम- Amar Bharti Media Group राष्ट्रीय

कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़े किसान, दिया ये अल्टीमेटम

नई दिल्ली: चार जनवरी को केंद्र सरकार के साथ आठवें दौर की बातचीत से पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए एलान किया है कि कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की उनकी मांग नहीं मानी गई तो गणतंत्र दिवस के दिन किसान दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालेंगे. किसान नेताओं ने एक बार फिर जोर देकर कहा कि कृषि कानूनों को रद्द करने से कम कुछ भी उन्हें मंजूर नहीं. दिल्ली की सीमा पर जारी किसानों के आंदोलन के 38वें दिन नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए किसान नेताओं ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार कानूनों को रद्द नहीं करती तब तक दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे.

सरकार के साथ 4 जनवरी को होने वाली बातचीत फेल रहने पर आंदोलन तेज करने का एलान करते हुए किसान नेता दर्शनपाल ने कहा “4 जनवरी को सरकार से बातचीत है और 5 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. अगर हमारे पक्ष में बात नहीं बनी तो 6 जनवरी को केएमपी (ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे) पर ट्रैक्टर मार्च होगा. यह एक तरह से 26 जनवरी की रिहर्सल परेड होगी.”

दर्शनपाल ने 26 जनवरी को यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली समेत देश भर में ट्रैक्टर परेड निकालने का एलान करते हुए कहा कि किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली पर तिरंगा झंडा लगा कर मार्च करेंगे. हालांकि दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड की जगह आदि को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में किसान नेताओं ने कहा कि उसका पूरी योजना बाद में साझा की जाएगी. दिल्ली में घुसने की कोशिश करने पर सुरक्षा बलों से टकराव और कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका पर दर्शनपाल ने कहा कि हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्वक तरीके से चल रहा है. सरकार बलप्रयोग करे तब भी हम टकराव नहीं करेंगे.

किसान नेताओं ने यह भी एलान किया कि सरकार के साथ बात नहीं बनने की स्थिति में दिल्ली-जयपुर हाईवे पर राजस्थान-हरियाणा की सीमा शाहजहांपुर बॉर्डर पर बैठे किसान अगले हफ्ते दिल्ली की तरफ बढ़ेंगे. 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के मौके पर सभी राज्यों में राजभवन मार्च की योजना बनाई गई है.

किसान नेता बीएस राजेवाल ने कहा “सरकार को इगो प्रॉब्लम हो गई है. देशभर में जगह जगह किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. सरकार खेती का कॉरपोरेटिकरण करना चाहती है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे. जब तक मांगें नहीं मानी जाती तब आंदोलन जारी रहेगा.”

वहीं योगेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली की सीमा पर किसानों के आंदोलन को 38 दिन हो गए. किसानों की हालत देख कर पत्थर भी पिघल जाए लेकिन प्रधानमंत्री पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार के साथ हुई पिछली बैठक में जिन दो मुद्दों पर सहमति बनी थी उसका प्रस्ताव लिखित रूप से नहीं दिया गया है. सरकार द्वारा दो मांगे माने को लेकर योगेंद्र यादव ने कहा कि अभी पूंछ निकली है, हाथी निकलना बाकी है.

दरअसल 30 दिसम्बर को किसान नेताओं के साथ हुई बैठक में सरकार ने प्रस्तावित बिजली बिल वापस लेने और पर्यावरण से जुड़े अध्यादेश में पराली जलाने पर दंडात्मक प्रावधान खत्म करने पर सहमति दे दी थी.

कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों की चार में से दो यानी आधी मांगें मान ली हैं. बैठक के दौरान जहां मंत्री ने किसान नेताओं के लिए आया हुआ लंगर खाया वहीं किसान नेताओं ने भी सरकारी चाय पी. लगा कि अगली बैठक में सरकार और किसान नेताओं की बात बन जाएगी. लेकिन चार तारीख की बैठक से पहले जिस तरह किसान नेताओं ने 26 जनवरी का अल्टीमेटम दिया है उससे साफ है उन्हें केंद्र सरकार पर भरोसा नहीं है और इसीलिए बातचीत से पहले दबाव का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है.