बेकाबू कोरोना और बंगाली चुनाव
पश्चिम बंगाल। पूरा विश्व एक बार फिर कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है। एक ओर जहां कोरोना बेकाबू हो रहा है वहीं दूसरी ओर बंगाल चुनाव ने भी जोर पकड़ लिया है। क्या चुनावी राज्यों में कोरोना का खतरा नही है? ये सवाल पूछना इसलिए जायज है क्योंकि जिस तरह चुनावी रैलियों में भीड़ उमड़ रही है उसे देखकर ऐसा महसूस हो रहा है, चुनाव से कोरोना ने दूरी बना रखी है । लगातार हो रही रैलियां के साथ ही बंगाल में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ा रहा हैं। पश्चिम बंगाल में मृत्यु दर 1.7 फीसदी हो गई है, जो देश में तीसरे नम्बर पर है और महाराष्ट्र के बराबर है। पश्चिम बंगाल से आगे देश में पंजाब और सिक्किम ही हैं। बंगाल में कोरोना से मृत्यु की दर 1.7 फीसदी है, जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा 1.3 फीसदी का ही है। इससे पता चलता है कि चुनावी राज्य में भी कोरोना जमकर पैर पसार रहा है।
चुनावी रैलियां बढ़ा रही बिहार में कोरोना
कोरोना से हो रही मृत्यु दर ही नहीं बल्कि पॉजिटिविटी रेट के मामले में भी पश्चिम बंगाल देश में 7वें नंबर पर आ गया है। बंगाल में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 6.5 फीसदी है, जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा 5.2 फीसदी का ही है। यह पॉजिटिविटी रेट चिंताओं और राज्य की समस्याओं को बढ़ाने वाला है। पड़ोसी राज्यों बिहार, झारखंड, असम और ओडिशा से तुलना करें तो पश्चिम बंगाल में केसों में तेजी से इजाफा देखने को मिला है। इसका सबसे बड़ा कारण राजनीतिक रैलियां ही है, जिसमे हज़ारो की तादाद में लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। कोविड प्रोटोकॉल और नियमों का न तो आम लोग पालन कर रहे है और न ही चुनावी पार्टियों के नेतागण। वे केवल सत्ता पाने के लिए चिंतित है, देश की जनसंख्या की चिंता का कोई मोल नही है।
नए केसों में बड़ा इजाफा
पिछले 7 दिनों के औसत की बात करें तो पश्चिम बंगाल में हर दिन 3,040 केस मिल रहे हैं। वहीं बिहार में यह आंकड़ा 2,122, असम की बात करें तो नए केसों का औसत 234 है, जो बंगाल के मुकाबले 10 गुना से ज्यादा कम है। जिस तरह से बंगाल में नए केसों में इजाफा देखने को मिल रहा है, वह चिंता की बात है। 26 फरवरी को राज्य में चुनावों के ऐलान के बाद से केसों के दोगुना होने की अवधि 15 गुना तक कम हो गई है। 12 अप्रैल के आंकड़ों के मुताबिक 138 दिनों में केस दोगुने होने की स्थिति है।
4 चरणों के चुनाव अभी बाकी
पश्चिम बंगाल में अब भी 4 चरणों का चुनाव बाकी है। 17, 22, 26 और 29 अप्रैल को अभी मतदान होना है। उससे पहले चुनाव प्रचार जोरों पर है। ऐसे में एक्सपर्ट्स चिंता जता रहे हैं कि राज्य में कोरोना का कहर बढ़ सकता है। रैलियों में बड़े पैमाने पर लोगों के जुटने और आवाजाही के चलते संकट गहरा सकता है। बता दें कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है।