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अत्यधिक मानसिक तनाव से बचने के उपाय.- Amar Bharti Media Group राष्ट्रीय, दिल्ली-एनसीआर, Delhi राष्ट्रीय

अत्यधिक मानसिक तनाव से बचने के उपाय.

आज की दौड़ भाग की दुनिया में हर एक इंसान अपने अपने कार्य में व्यस्त है, उसके पास अपने परिवार और अपने लिए भी समय निकाल पाना मुश्किल होता जा रहा है. जिसकी वजह से अधिकतर लोग डिप्रेशन के चपेट में आ जाते है. डिप्रेशन के कई कारण हो सकते है जैसे बेरोजगारी, अपनी आय से अधिक खर्च, अपने रिटायरमेंट के बाद की आर्थिक योजना सही से न बनाना, या कोई भी पारिवारिक कारण आदि.


इंसान अपने दैनिक जीवन में बदलाव लाकर डिप्रेशन के प्राम्भिक लक्षण से आसानी से बच सकता है. उसे अपने व्यस्त जीवन से कुछ समय निकालकर व्यायाम और अपनी खानपान की आदतों में सुधार जरुर करना होगा. सबसे महत्वपूर्ण बात, अपना ध्यान उस चीज से बिलकुल हटा लेना चाहिए, जिससे डिप्रेशन में जाने का खतरा हो. उस विषय में सोचकर अपने को कष्ट देने से अच्छा है, अपना ध्यान सकारात्मक कार्य में केन्द्रित करते हुए, उस कष्टदायक विषय का समाधान निकालना.

अत्यधिक मानसिक तनाव से बचने के उपाय.


अपने दैनिक जीवन में बदलाव कर, व्यक्ति डिप्रेशन के प्राम्भिक अवस्था से आसानी से बाहर निकल, अपना खुशहाल जीवन जी सकता है. जब व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में बदलाव नहीं करना चाहता है और डिप्रेशन के आगे हार मान जाता है तो ऐसे में उसे अपने जीवन में कोई भी सकारात्मक कार्य अच्छे नहीं लगते. यंहा तक कि उसे संगीत, फ़िल्म, खेल आदि किसी में भी कोई रूचि नहीं रहती.


अगर आपके परिवार या जानकार में कोई व्यक्ति डिप्रेशन से पीड़ित हो तो उसे कभी भी अकेला न छोड़े. डिप्रेशन में व्यक्ति अकेला रहना पसंद करता है और समाज से दूर भागता है. ऐसे व्यक्ति को तुरंत साइकेट्रिस्ट के पास ले जाकर, उसका इलाज कराना चाहिए. साइकेट्रिस्ट डिप्रेशन के मरीज को समझाने के साथ साथ उसकी दवाई भी चालू करेंगे, जिसको मरीज को नियमित रूप से देना चाहिए.


साइकेट्रिस्ट की दवा मरीज को धीरे धीरे डिप्रेशन से बाहर आने में जरुर मदद करेगी. जिसके कारण मरीज ज्यादा न सोचकर, अपनी नींद भी लेगा और उसके दिमाग में कम जोर पड़ेगा. लेकिन डिप्रेशन के मरीज को इस अवस्था से पूरी तरह स्वस्थ होकर बाहर निकलने के लिए अपने खुद के सकारात्मक प्रयास जारी रखने होंगे. इसके लिए मरीज के रिश्तेदारो और मित्रो को उसका भरपूर सहयोग करना चाहिए.


डिप्रेशन के मरीज को यह समझाना बहुत जरुरी है कि वह अपने दैनिक जीवन में बदलाव कर और सकारात्मक कार्य करते हुए, वह एक दिन फिर से अपना खुशहाल जीवन जीने लगेगा. उसे साइकेट्रिस्ट की परामर्श के साथ साथ अपना भी यह प्रयास जारी रखना होगा. अगर मरीज लगातार 6 महीने या उससे अधिक समय तक अपने को सकारात्मक कार्यो में व्यस्त रखता है और डिप्रेशन को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता है तो वह व्यक्ति अपने पहले के जीवन से भी अधिक मानसिक रूप से मजबूत हो जायेगा. इसके लिए मरीज के परिवार और दोस्तों को उसका पूरा ध्यान रखना होगा. उसको सकारात्मक कार्यो के लिए लगातार प्रोत्साहित करना होगा.