मदरसों में आधुनिक शिक्षा सुधारेंगे नए डीएमओ

बाराबंकी। नवागत जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्रा ने कार्यभार ग्रहण करते ही जिले के 22 सहायता प्राप्त मदरसों की लचर शिक्षा व्यवस्था पर सख्त रुख अपना लिया है। उन्होंने इस संवाददाता से बातचीत में कहा कि मदरसा छोड़कर जिला कार्यालय में डेरा डालने वाले लिपिकों और शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों को अब शिक्षण कार्य में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। श्री मिश्रा ने स्पष्ट किया कि अब औचक निरीक्षण के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता की गहन जांच की जाएगी, जिसमें मदरसों की साफ-सफाई, छात्र-छात्राओं की यूनिफॉर्म, टाइमटेबल, उपस्थिति रजिस्टर, शिक्षक हाजिरी, शौचालय, पेयजल, बिजली की व्यवस्था, छात्रों के नामांकन और वित्तीय अभिलेखों की भी समीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि सभी पाठ्य योजनाओं पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए। सिर्फ दीनी तालीम से काम नहीं चलेगा, छात्रों को हिंदी, गणित, अंग्रेज़ी और विज्ञान जैसे विषयों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करना होगा, अन्यथा संबंधितों के विरुद्ध कार्यवाही तय है।

श्री मिश्रा ने यह भी कहा कि “मल्टी सेक्टोरल डेवलपमेंट प्रोग्राम” (एमएसडीपी) के अंतर्गत जिले में अधूरे पड़े कार्यों को प्राथमिकता से पूरा कराया जाएगा, जिनमें जैदपुर स्थित नवीन राजकीय पॉलिटेक्निक, बालक छात्रावास और सिरौली गौसपुर के बरौलिया स्थित कॉमन सर्विस सेंटर शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाएगा, जिसमें अच्छा कार्य करने वाले शिक्षक या संस्था प्रमुख को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

संजय मिश्रा बहराइच से स्थानांतरित होकर बाराबंकी आए हैं, जहाँ वे अपने कर्तव्यों के प्रति बेहद सक्रिय और सख्त अधिकारी के रूप में पहचाने जाते हैं। बहराइच में उनके कार्यकाल के दौरान कई अवैध मदरसे बंद कराए गए, शिक्षा में दलाली को समाप्त किया गया और अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों-लिपिकों पर कार्रवाई कर आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा दिया गया। औचक निरीक्षण में माहिर माने जाने वाले मिश्रा के बाराबंकी आगमन के बाद से मदरसों में हड़कंप की स्थिति है। बुधवार को शहर के एक होटल में आयोजित स्वागत समारोह में चाटुकारिता देख वे बीच में ही उठकर चले गए, जिससे यह साफ हो गया कि अब जिले में लापरवाही और दिखावे की संस्कृति नहीं चलेगी।