मैसूरु. कर्नाटक शहर के श्री चमाराजेंद्र जूलॉजिकल पार्क में एक पशु विनिमय कार्यक्रम के तहत दक्षिण अफ्रीका के एन वान डाइक चीता केंद्र से तीन चीते लाए गए हैं।
मैसुरु चिड़ियाघर के निदेशक अजय कुलकर्णी ने आईएएनएस को बताया, 14-16 महीने के एक नर और दो मादा अफ्रीकी चीता को सोमवार को यहां लाया गया, जिसे अंतर्राष्ट्रीय पशु विनिमय कार्यक्रम के तहत एयर फ्रेट कैरियर में जोहानिसबर्ग से बेंगलुरु लाया गया है।
कुलकर्णी ने कहा, हैदराबाद में नेहरू जूलॉजिकल पार्क, जिसमें चीता है उसके बाद हमारा दूसरा चिड़ियाघर है। 2011 से हमारे पास चार जर्मनी चीता थे, जिसकी 12-14 साल की उम्र में 2019 में मौत हो गई।
निर्देशक ने कहा, चीता को जल्द ही चिड़ियाघर में 7,000 वर्ग मीटर के घने क्षेत्र में घूमने और दौड़ने के लिए छोड़ दिया जाएगा, क्योंकि उन्हें तेज दौड़ने के लिए बहुत जगह की आवश्यकता होती है।
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चिड़ियाघर में घूमनें आए सैकड़ों आगंतुक इस बार लुप्तप्राय अफ्रीकी बिल्ली की प्रजातियों को देख पाएंगे। चिड़ियाघर में बाघ, तेंदुए और शेर भी दिखाई देंगे।
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यह चिड़ियाघर 128 साल पुराना है, जिसे 1892 में मैसूर के महाराजा चमाराजेंद्र वोडेयार ने बनवाया था, यह शहर के बाहरी इलाके में 175 एकड़ में फैला हुआ है, जहां दुनियाभर के 25 देशों में से 168 प्रजातियों सहित लगभग 1,450 प्रजातियां पाई जाती हैं।