सरकारी विद्यालय अपनी बदहाली का आँसू बहाने को मजबूर है

अमर भारती :  आप बहुत से ऐसे सरकारी विद्यालय देखे होंगे जहां पर टीचर हैं तो छात्र नहीं,छात्र हैं तो टीचर नहीं दोनों है तो विद्यालय नहीं लेकिन कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जहाँ पर सब हैं लेकिन मौके पर कुछ नही। आप सोच रहे होंगे कि मैं कैसा अनबुझ बातें आपको बता रहा हु।लेकिन सत्य हैं। जनपद में पिछले कई दिनों से लगातार हुये बारिश ने अपना कहर ऐसा दिखाया कि कोई भी इससे  अछूता नही रहा। दर्जनों परिवारों के आशियाने ताश के पत्तों तरह ढह गये,बहुत से जान- माल की भारी नुकसान हुआ, इस नुकसान से किसान भी अछूते नही रहे।  लेकिन शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाला विद्यालय भी बारिस ने अपना छाप ऐसा छोड़ा की विद्यालय होने के बाद नही के बराबर हैं।
इसका प्रमाण देखना हो तो आप जिले के विकास खण्ड रूद्रपुर ग्राम पिडरा में स्तिथ परिषदीय व जूनियर विद्यालय को देख सकते हैं जहाँ पढ़ने व पढ़ाने के लिये टीचर व छात्र नही जाते बल्कि बारिश का पानी ही पहुँच जाता हैं। पहुचने के साथ अपना कब्जा भी कई दिनों से जमाये हुये रहते हैं।  इस बारे मे स्थानीय लोगो से बात किया गया तो बताया कि ये हर वर्ष की कहानी हैं जिसमे विद्यालय के बाहर बारिस के पानी का कब्जा जब बरसात का समय शुरू होता हैं तो बना रहता हैं और कई महीनों तक बना रहता हैं जिसमे टीचर के साथ विभाग की भी मलाई हैं न पढ़ने व पढ़ाने की जरूरत हैं बस रजिस्ट्रर मेंटेन करना पड़ता हैं। इस क्षेत्र में दर्जनों ऐसे विद्यालय आपको देखने को मिल जायेंगे जो अपनी इस बदहाली का रोना रो रहे हैं और अधिकारी मलाई बटोरने में लगे हुये हैं। जब इस विषय मे जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओम प्रकाश यादव से बात किया तो देखवाकर उचित कार्यवाही की बात की हैं।