इतने सालों में कितना बदला है भारतीय स्त्री का मुख्य परिधान ‘साड़ी’!

अमर भारती : ‘साड़ी’ भारतीय स्त्री का मुख्य परिधान है और यह विश्व की सबसे लंबी और पुराने परिधानों में से गिना जाता है,यह लगभग 5 से 6 गज लम्बी बिना सिले हुए कपड़े का टुकड़ा होता है जो ब्लाउज या चोली और साया के ऊपर लपेटकर पहना जाता है।
दरअसल,साड़ी पहनने के कई तरीके हैं जो भौगोलिक स्थिति,पारंपरिक मूल्यों और रुचियों पर निर्भर करता है।

आपको बता दें कि अलग-अलग शैली की साड़ियों में कांजीवरम साड़ी, बनारसी साड़ी, पटोला साड़ी और हकोबा मुख्य हैं वहीं मध्य प्रदेश की चंदेरी, महेश्वरी, मधुबनी छपाई, असम की मूंगा रशम, उड़ीसा की बोमकई, राजस्थान की बंधेज, गुजरात की गठोडा, पटौला, बिहार की तसर, छत्तीसगढ़ी कोसा रशम, दिल्ली की रेशमी साड़ियां, झारखंडी कोसा रशम, महाराष्ट्र की पैथानी, तमिलनाडु की कांजीवरम, बनारसी साड़ियां, उत्तर प्रदेश की तांची, जामदानी,एवं पश्चिम बंगाल की बालूछरी आदि साड़ियाँ प्रसिद्ध हैं।

दूसरी ओर आजकल की भागादौडी़ के समय पर औरतें साड़ी पहनने में ज्याद़ा दिलचस्पी नहीं दिखाती और हाल ही में एक सर्वे में भी इस बात का खुलासा हुआ है कि औरतें खुद साड़ी पहनने के बजाए किसी दूसरी स्त्री से साड़ी पहनना पसंद करती हैं।
इसके चलते साड़ी को लोकप्रिय बनाने के लिए उसे पहनने के तरीके से लेकर फैब्रिक के मामले में भी कई प्रयोग किए जा रहे हैं।
बता दें कि दुनियाभर में साड़ी पहनने के 80 से भी  ज्यादा तरीके हैं और जानी-मानी फैशन डिजाइनर ‘‘शायना एनसी’’ मानती हैं कि वो खुद 54 तरीकों से साड़ी बांध सकती हैं। फैशन की दुनिया में तकरीबन रोज ही साड़ी को लेकर नए प्रयोग हो रहे हैं। ये प्रयोग पारंपरिक लुक के साथ साड़ी पहननेवाले को मॉडर्न टच देते हैं।

आज साड़ी सिर्फ एक कपड़े का टुकड़ा नहीं रह गया है बल्कि इसके बॉर्डर और पल्लू को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए हाथ से कढ़ाई या एम्बॉयडरी भी की जाती हैए जिससे देशभर में लाखों लोगों को रोजगार मिलता है

टेक्सटाइल मिनिस्ट्री की 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक साड़ी पर हाथ से कढ़ाई करने वाले देश के करीब एक करोड़ से भी ज्यादा बुनकरों को रोजगार मिला है।

रिर्पाट-कंचन शर्मा

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