2035 तक ‘इलेक्ट्रिक प्लेन’ तैयार करेगा ‘नासा’

तैयारियां शुरू, विमानों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की कवायद जारी

नई दिल्ली। 
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इलेक्ट्रिक कारों की तर्ज पर जल्द ही ऐसे इलेक्ट्रिक विमान लेकर आएगी जो पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल होंगे। नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने इस बात की पुष्टि की है कि अपनी योजना को अमली जामा पहनाने के लिए उसने विमानन उद्योग के साथ भागीदारी भी कर ली है। अगर सबकुछ योजना के अनुसार हुआ तो नासा का दावा है कि वह आगामी कुछ सालों में इलेक्ट्रिक प्लेन का विकास कर लेगा।

प्लेन भी इको-फ्रेन्डली

दरअसल, जलवायु परिवर्तन को देखते हुए नासा भविष्य के विमानों के लिए ज्यादा क्षमतावान इको-फ्रेंडली प्लेन बनान ध्यान केंद्रित कर रहा है। नासा के इंटीग्रेटेड एविएशन सिस्टम प्रोग्राम के डायरेक्टर ली नोबल ने कहा कि भविष्य के ये विमान ईएपी प्रणाली (इलेक्ट्रिफाइड एयरक्राफ्ट प्रोपल्सन) पर उड़ान भरने में सक्षम होंगे।

20 अप्रैल तक प्रस्ताव भेजें कम्पनियां

नासा जल्द ही इन ईएपी विमान डिजाइन पर काम शुरू करेगा और संभवतः 2035 तक इन्हें बाजार में उतारेगा। नासा ने कहा कि वह अपने ईएपी तकनीक को वैश्विक विमान बेड़े में पेश करेगा। फिलहाल, नासा छोटे जहाजों में ईएपी विमान डिजाइन पर परीक्षण कर रहा है। इनमें सिंगल-ऑयल एयरक्राफ्ट, टर्बोप्रॉप और रीजनल जेट शामिल हैं। नासा ने कहा कि 20 अप्रैल तक अन्य कंपनियों के पास अपने प्रस्ताव भेजने का समय है।

ईंधन बचेगा, कार्बन उत्सर्जन में कमी

नासा का कहना है कि अब तक किए अध्ययनों के अनुसार, इलेक्ट्रिक विमान ईंधन उपयोग को बहुत कम कर सकते हैं। नासा ने कहा कि विमान की उड़ान तकनीक का विद्युतीकरण होने से नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आ सकती है। अगर नासा की यह योजना सफल होती है, तो इसमें भी वही तकनीक उपयोग होगी जो ज्यादातर ईवी निर्माता वर्तमान में अपनी कारों में पेश कर रहे हैं।

आखिर नासा को ऐसा क्यों करना पड़ा

गैर-लाभकारी एयर ट्रांसपोर्ट एक्शन ग्रुप के अनुसार, सामान्य वाणिज्यिक हवाई जहाज 2019 में लगभग 90 करोड़ टन (900 मिलियन टन) कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार थे। यह मानव द्वारा उत्सर्जित कार्बन का दो फीसदी हिस्सा है। नासा की यह नई योजना इसी समस्या को दूर करने के समाधान के रूप में सामने आई है। हालांकि, ऐसा करने वाली नासा कोई पहली एजेंसी नहीं है। इससे पहले, बोइंग ने 2030 तक अपने सभी विमानों को 100 फीसद इको-फ्रेंडली ईंधन पर उड़ाने का दावा किया है। बोइंग का कहना है कि इसके लिए वह पशुओं से प्राप्त चिकनाई, कृषि कचरे और वनस्पति तेल का उपयोग करेगी।

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