छोटे शहरों की लड़कियों की आखों में सपने बुनने वाली हिमा दास की कहानी

अमर भारती : लोग अक्सर कहते हैं कि छोटे शहर की लड़कियों को बड़े सपने देखने का कोई अधिकार नही और अगर देख भी लें तो पुरा कैसे होगा? ये सवाल कई लोगो के मन में आता है। इन सभी सवालों को पीछे छोड़ आगे बढ़ती हिमा दास ने आज देश का नाम रोशन कर दिया है।

आइए जानतें हैं हिमा के सफर के बारे में

9 जनवरी साल 2000 में असम में जन्मी हिमा दास ने आज देश को गौरवांगित कर दिया। असम से आई छोटे परिवार की ये लड़की आज किसी पहचान की मोहताज नही। हिमा साल 2019 मई में असम हाई सेकेंड्री एजुकेशन काउंसिल से 12 किया हैं, हालाकि इन सभी के बीच हिमा दास ने अपने टैलेंट के दम पर नया इतिहास रच दिया है।

400 मीटर लंबी दौड़ में 51.46 मिनट का समय निकालकर 21 दिन में 6 गोल्ड मेडल जीतने वाली हिमा देश की पहली महिला एथलीट बन गई है। हिमा दास के माता-पिता एक किसान है। असम के छोटे से गांव में कई प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के साथ-साथ जीत भी चुकी हैं। हिमा के इस टैलेंट को असली पहचान एशियन गेम्स से मिली। जिसके बाद हेमा के आगे बढ़ने का सफर शुरू हो गया।

देखा जाए तो अपने दौड़ से हेमा ने अपने जीवन का लंबा सफर तय कर लिया है। 19 साल की हेमा अपने प्रदर्शन से कई लड़कियों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। हिमा के दोस्तों का कहना है कि हिमा बचपन से ही जिद्दी है। साथ ही हिमा के बड़े पापा उन्हे काफी स्पोर्ट करते हैं। हाल ही में असम में आए बाढ़ से परेशान लोगो को हेमा ने जीती हुई आधी राशि दे दी है। इससे साप पता चलता है कि बाढ़ में फसें लोगो के लिए हिमा के मन में कितना भावना हैं।