नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने दस्तक दे चुकी है और वो पहले की तुलना में लगभग तीन गुना ज़्यादा तेज है। यह नतीजा आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों द्वारा निकाला गया है।
संक्रमण के तेजी से फैलने के चार कारण
संक्रमण जो इतनी तेजी से फैल रहा है इसके पीछे चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने चार प्रमुख कारण माने हैं। इनमें कोरोना के नए प्रकारों का फैलाव, पूर्व में संक्रमित हो चुके लोगों में प्रतिरोधक क्षमता का खत्म होना, भारत में कोरोना वायरस में दोहरे बदलाव और कोरोना अनुकूल व्यवहार के पालन में भारी लापरवाही।
30 फीसदी लोगों में न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडीज समाप्त
बता दे कि सीएसआईआर की प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के हाल ही में एक शोध प्रकाशित किया है जिसमे यह दावा किया है कि एक बार संक्रमित हो चुके लोगों में छह महीने बाद जब इम्यूनिटी के स्तर की जांच की गई तो 70 फीसदी में ही न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडीज पाई गईं जो दोबारा संक्रमण को रोकने में कारगर हैं। जबकि 30 फीसदी लोगों में यह करीब-करीब समाप्त होती दिखी।
ब्रिटेन जैसे मामले पाए गए महाराष्ट्र, दिल्ली सहित कई राज्यों में
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के निदेशक प्रोफेसर जुगल किशोर ने बताया कि जो ब्रिटेन में कोरोना का प्रकार पाया गया है वैसे ही प्रकार के मामले पंजाब, महाराष्ट्र, दिल्ली समेत कई राज्यों में पाए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में सक्रिय वायरस में बदलाव हो रहे हैं। जिसके चलते इसे तेज प्रसार के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
4.5 फीसदी लोगों को दोबारा संक्रमण
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अध्ययन में पाया गया कि देश में 4.5 फीसदी लोगों को 102 दिनों के बाद फिर से संक्रमण की पुष्टि हुई है। हालांकि दुनिया में दोबारा संक्रमण के मामले महज एक फीसदी या इससे भी कम हैं।