नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी नई गाइडलाइन में आईवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एंटी-वायरल फेविपिरवीर के इस्तेमाल को हटा दिया है। डॉक्टरों और चिकित्सा शोधकर्ताओं के एक वर्ग ने सलाह दी थी कि कोरोना मरीजों पर इन दवाओं का फायदा नहीं हो रहा है। इसके वैज्ञानिक प्रमाण न मिलने के बाद नई गाइडलाइन में इसे हटाया गया है। हालांकि डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेस (DGHS) के दिशानिर्देश, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के दिशानिर्देशों से अलग हैं, जो कि आइवरमेक्टिन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दोनों की सलाह देते हैं, भले ही इसने अपने उपचार से प्लाज्मा को हटा दिया हो।
स्वास्थ्य मंत्रालय की अन्य मुख्य गाइडलाइन
नई गाइडलाइन में किए जाने वाले क्लीनिकल ट्रायल को भी लिस्ट किया गया है और हाई-रिज़ॉल्यूशन सीटी के अंधाधुंध इस्तेमाल के खिलाफ बताया गया है, जो सिर्फ खराब परिस्थितियों में ही किया जाना है। एक्सपेरिमेंटल दवा रेमेडिसविर के उपयोग सिर्फ चुनिंदा मध्यम या गंभीर अस्पताल में भर्ती कोविड -19 मरीजों में किया जाना है, जो बीमारी की शुरुआत के 10 दिनों के भीतर ऑक्सीजन पर हैं।
कम होता दिख रहा है कोरोना की दूसरी लहर का असर
गौरतलब है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर का असर अब कम हो रहा है और रोजाना के केसों में काफी कमी आई है। सोमवार को 1 लाख 636 संक्रमण के नए मामले दर्ज किए गए, 61 दिनों बाद इतने कम दैनिक मामले दर्ज किए गए हैं। इससे कम मामले 6 अप्रैल को 96,982 दर्ज किए गए थे। वहीं इस अवधि में 2427 की मौत हुई है और मृतकों का कुल आंकड़ा 3 लाख 49 हजार 186 हो गया है। दैनिक मामलों की रफ्तार अभी भी एक लाख से ज्यादा पर हो लेकिन राहत इस बात की है कि संक्रमण से मुक्त होने वाले मरीजों की संख्या ताजा मामलों से कहीं ज्यादा है।