हरियाली तीज का महत्व

वैसे तो हिन्दुओं मे हर त्योहार का अत्यधिक महत्व है, पर सावन माह की हिन्दुओं मे अधिक मान्यता मानी जाती है। सावन के महीने मे हुई बारीश के कारण पूरी पृथ्वी हरी भरी हो जाती है इसी कारण इसको हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। इस माह मे काफी पर्व बडी धूम धाम से मनाए जाते है जैसे; शिवरात्री, हरियाली तीज, रक्षा बंधन आदि। सावन का महीना शिव जी को भी काफी प्यारा है। हर साल महिलाए हरियाली तीज का इंतेजार करती है। यह त्योहार सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और शिव जी जैसा वर पाने की कामना करती हैं। आज 11अगस्त को यह त्योहार पूरे देश मे मनाया जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार, हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने विधान है मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का पुन: मिलन हुआ था।

इस दिन महिलाएँ क्या करती है:

– इस दिन महिलाएँ श्रृंगार करती है हाथों में मेंहदी लगाती हैं।
– कुवारी लडकियाँ भी इस दिन मेंहदी लगाकर तैयार होती है। कुछ महिलाएं बाग और बगीचों में जाकर माता पार्वती की प्रतिमा की पूजा करते है। सज धज के पूजा के बाद झूला झूलती है।

ऐसा माना जाता है कि सावन का महीना भगवान श्रीकृष्ण को भी सबसे प्रिय है जिसमें वह सखियों के साथ झूला झूलते है। ब्रज के सभी मंदिरों में हिंडोले लगाये जाते है। कुछ हिंडोले फूलो, मेवा, चंदन से सजाए जाते है। बाकेबिहारी का सबसे ज्यादा लोगो को हिडोला परभार्वित करता है। हिडोले में बाके बिहारी झूला झूलते है। और लोगो का मन मोह लेते है।

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