माघ शुक्ल का प्रदोष व्रत, जीवन में कैसे दिलाता है सफलता

पंचांग के अनुसार 24 फरवरी बुधवार को माघ मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की तिथि है. इस दिन प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. प्रदोष व्रत से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं. माघ मास में शिव पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. इसलिए इस व्रत का महत्व बढ़ जाता है.

बुध प्रदोष व्रत

बुधवार के दिन त्रयोदशी की तिथि पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. प्रदोष व्रत में शिव परिवार के सभी सदस्यों की भी पूजा कर जाती है. ऐसा करने से शिव जी जल्द प्रसन्न होते हैं.

गणेश जी का मिलता है आर्शीवाद

बुधवार के दिन प्रदोष व्रत होने के कारण इस दिन की जाने वाली पूजा से गणेश जी को भी प्रसन्न किया जाता है. गणेश जी शिव परिवार के ही सदस्य है. गणेश जी का संबंध ज्ञान और बुद्धि से है. वहीं बुध ग्रह की अशुभता को दूर करने में भी यह व्रत उत्तम माना गया है.

चंद्रमा की अशुभता दूर होती है

प्रदोष व्रत की एक विशेष बात ये भी है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से चंद्रमा का दोष भी समाप्त होता है. चंद्रमा मन का कारक माना गया है. चंद्रमा के कमजोर होने से व्यक्ति को मानसिक तनाव होने लगता है और अज्ञात भय बना रहता है. जिस कारण मन में हमेशा नकारात्मक विचार आने लगते हैं. ऐसी स्थिति में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. प्रदोष व्रत से दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.

प्रदोष व्रत विधि पूवर्क करना चाहिए

प्रदोष व्रत में नियमों का पालन करना चाहिए तभी इस व्रत का पूर्ण लाभ मिलता है. पंचांग के अनुसार 24 फरवरी बुधवार को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि का आरंभ होगा. त्रयोदशी तिथि का समापन 25 फरवरी को शाम 05 बजकर 18 मिनट पर होगा. प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है.